साल में एक दिन ही खुलते हैं लाटू देवता के कपाट, मंदिर अंदर प्रवेश वर्जित, पूजारी भी खुली आंखों से...

साल में एक दिन ही खुलते हैं लाटू देवता के कपाट, मंदिर अंदर प्रवेश वर्जित, पूजारी भी खुली आंखों से…

देवाल(प्याउ)। देवभूमि उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद चमोली के दूरस्थ  गांव वाण में साल में एक दिन के लिए खुलने वाला लाटू देवता के कपाट 10 मई को खुले। इस मंदिर की परंपरा के निर्वाह करते हुए पूजारी खीमसिंह टिमटिमियां ने आंखों में पट्टी बांध कर पूजा अर्चना की। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर पूजा अर्चना की।साल में एक दिन ही खुलते हैं लाटू देवता के कपाट, मंदिर अंदर प्रवेश वर्जित, पूजारी भी खुली आंखों से...

इस मंदिर की सबसे रहस्यमय परंपरा ही यह है कि इस मंदिर के अंदर पूजारी के अतिरिक्त कोई अन्य का प्रवेश की वर्जित है। पूजारी भी साल में एक ही दिन जिस दिन मंदिर खुलता है, वह भी आंखों में पट्टी बांध कर पूजा अर्चना करता है। खुले आंखों से इस मंदिर में पूजा अर्चना करने की इजाजत पुजारी को भी नहीं है। यह प्रथा दशकों से है। गांव के बुजुर्ग ग्रामीणों ने भी ऐसी ही प्रथा देखते व इसी परंपरा को निर्वाह करते आ रहे है।
उल्लेखनीय है कि लाटू देवता,, नंदा देवी का धर्मभाई माना जाता है। यह नंदा देवी राजजात में सबसे आगे चलता है। इस मंदिर के बाद आगे इंसानों की बसागत नहीं है। इस मंदिर के साल में एक ही दिन  कपाट खुलते है। उसी दिन यहां पूरे क्षेत्र के हजारों लोग लाटू देवता से आशीर्वाद लेने यहां आते है।

इस साल भी स्थानीय विधायक मगन लाल सहित क्षेत्र के तमाम वरिष्ठ समाजसेवी व अधिकारी उपस्थित थे। प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इस अवसर पर लाटू देवता के आशीर्वाद ग्रहण करने यहां पंहुचने वाले थे परन्तु मौसम ठीक न होने से उनका हेलीकाॅप्टर यहां पर उतर नहीं सका। इस अवसर पर यहां एक दिवसीय बोरी मेले का भी आयोजन किया गया।

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