सियासी मुलाकातों का दौर जारी, अजय भट्ट से मिले किशोर उपाध्याय

प्रदेश में इन दिनों सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच सियासी मुलाकातों का नया सिलसिला शुरू हुआ है। इससे नए विवाद भी तूल पकड़ने लगे हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ‘आम पार्टी’ और फिर बसपा नेता (अब निष्कासित) शहजाद के बेटे के विवाह समारोह में शिरकत करने के बाद से सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं इस कड़ी में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पार्टी से इतर खड़े किए वन अधिकार जन आंदोलन के कार्यकर्ता के रूप में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में वन और प्राकृतिक संसाधनों पर उत्तराखंड के निवासियों के परंपरागत हक-हकूकों का संरक्षण और राज्यवासियों को वनवासी का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से कार्यवाही की मांग की गई। यह दीगर बात है कि इस मुलाकात के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने राज्य के लोगों के हक-हकूकों में किसी तरह की कटौती से इन्कार किया। 

प्रदेश में आगामी निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक दलों के बीच नई तरह से जद्दोजहद दिखने लगी है। एक-दूसरे पर हमला का मौका नहीं चूकने वाले सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता अब धुर विरोधियों से मुलाकात की सियासत से चौंका रहे हैं। 

बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ऐसी ही मुलाकातें सूबे की सियासत गर्मा चुकी हैं। वहीं बसपा से निष्कासित मौ शहजाद से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी मुलाकात करने में देर नहीं लगाई। अब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय बीते दिनों अन्य राजनीतिक दलों और स्वैच्छिक संगठनों के साथ मिलकर बनाए गए ‘वन अधिकार जन आंदोलन’ के कार्यकर्ता के तौर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से मिलने उनके आवास पहुंचे। 

किशोर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अजय भट्ट को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उत्तराखंड में वन अधिकार अधिनियम 2006 को यथाशीघ्र लागू राज्य को वन प्रदेश और राज्य के लोगों को वनवासी का दर्जा देने की मांग की। छह सूत्रीय ज्ञापन में अन्य मांगें भी रखी गई हैं। 

प्रतिनिधिमंडल में समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ सत्यनारायण सचान, महिला समाख्या की पूर्व राज्य समन्वयक गीता गैरोला, संजय भट्ट शामिल थे। 

उधर, संपर्क करने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने परोक्ष तौर पर वन अधिकार जन आंदोलन की हक-हकूकों की पैरवी को खारिज कर दिया। ज्ञापन मिलने के बाद वन अधिकारियों से बातचीत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि राज्यवासियों के हक-हकूकों में कटौती नहीं हुई है।

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