गर्मी के दिनों में सिर की सुरक्षा के लिए बाइकचालक हेलमेट पहन तो लेते हैं, लेकिन पसीने से उनका हाल बुरा हो जाता है। इसके कारण कई लोग गर्मी में हेलमेट पहनने से कतराने भी लगते हैं। इस परेशानी का हल निकाला है एमिटी के वैज्ञानिक ने। उन्होंने एक ऐसा पैड तैयार किया है, जिससे हेलमेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है और गर्मी तथा पसीने से राहत मिल जाती है। इस पैड को आसानी से हेलमेट के नीचे रखा भी जा सकता है। इस हेलमेट को एमिटी इंस्टीट्‌यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (मटैरियल एंड डिवाइस) के वैज्ञानिक प्रो. वीके जैन ने तैयार किया है। प्रो. जैन ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि दोपहिया वाहनचालक गर्मियों के मौसम में हेलमेट पहनने से परहेज करते हैं। इससे दुर्घटनाओं में बाइक चालक जान गंवा बैठते हैं। इसलिए यह विचार आया कि क्यों न ऐसा हेलमेट बनाया जाए, जो गर्मी में चालकों को राहत प्रदान कर सके। हमने एक ऐसा पैड बनाया, जिसे आसानी से हेलमेट में फिट किया जा सकता है। इसे हेलमेट के अंदर दो लेयरों के बीच में रखा जाता है। इससे हेलमेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है। पैड में फेस चेंज नैनो कंपोजिट मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है। यह पदार्थ 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी प्रभावी तरीके से काम करता है। पैड में पदार्थ ठोस रूप में होता है। यह इस्तेमाल के समय दो घंटे तक काम करता है। दो घंटे बाद यह पदार्थ तरल में बदल जाता है। खास बात यह है कि इस्तेमाल के बाद इस पैड को बदलने की जरूरत नहीं होती। हेलमेट को किसी छाया वाली जगह में आधे घंटे रखने पर मैटेरियल दोबारा ठोस में तब्दील हो जाता है। इससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है। पर्यावरण व शरीर के लिए पूरी तरह अनुकूल प्रो. जैन का कहना है कि पैड में इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ पर्यावरण व शरीर के लिए पूरी तरह अनुकूल है। इसमें जिस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है, वह बिलकुल सुरक्षित है। इससे किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ का उत्सर्जन नहीं होता। कमर्शियल होने पर बढ़ सकती है क्षमता जैन ने बताया कि अभी इसे केवल प्रयोग के तौर पर बनाया गया है। कोई कंपनी अगर इस तकनीक पर दिलचस्पी दिखाए तो इसकी इस्तेमाल की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यानी इसे एक बार में दो घंटे से ज्यादा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आर्मी से लेकर कामगारों तक के लिए उपयोगी जैन बताते हैं कि इस पैड का इस्तेमाल दोपहिया वाहनचालक तो कर ही सकते हैं, साथ ही सैनिक और कामगारों के लिए भी उपयोगी है। गर्मी और धूप में ड्यूटी के समय यह राहत प्रदान करेगा।

सिर को सुरक्षित ही नहीं, ठंडा भी रखेगा हेलमेट

गर्मी के दिनों में सिर की सुरक्षा के लिए बाइकचालक हेलमेट पहन तो लेते हैं, लेकिन पसीने से उनका हाल बुरा हो जाता है। इसके कारण कई लोग गर्मी में हेलमेट पहनने से कतराने भी लगते हैं। इस परेशानी का हल निकाला है एमिटी के वैज्ञानिक ने।गर्मी के दिनों में सिर की सुरक्षा के लिए बाइकचालक हेलमेट पहन तो लेते हैं, लेकिन पसीने से उनका हाल बुरा हो जाता है। इसके कारण कई लोग गर्मी में हेलमेट पहनने से कतराने भी लगते हैं। इस परेशानी का हल निकाला है एमिटी के वैज्ञानिक ने।  उन्होंने एक ऐसा पैड तैयार किया है, जिससे हेलमेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है और गर्मी तथा पसीने से राहत मिल जाती है। इस पैड को आसानी से हेलमेट के नीचे रखा भी जा सकता है। इस हेलमेट को एमिटी इंस्टीट्‌यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (मटैरियल एंड डिवाइस) के वैज्ञानिक प्रो. वीके जैन ने तैयार किया है।  प्रो. जैन ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि दोपहिया वाहनचालक गर्मियों के मौसम में हेलमेट पहनने से परहेज करते हैं। इससे दुर्घटनाओं में बाइक चालक जान गंवा बैठते हैं। इसलिए यह विचार आया कि क्यों न ऐसा हेलमेट बनाया जाए, जो गर्मी में चालकों को राहत प्रदान कर सके।  हमने एक ऐसा पैड बनाया, जिसे आसानी से हेलमेट में फिट किया जा सकता है। इसे हेलमेट के अंदर दो लेयरों के बीच में रखा जाता है। इससे हेलमेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है। पैड में फेस चेंज नैनो कंपोजिट मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है। यह पदार्थ 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी प्रभावी तरीके से काम करता है।  पैड में पदार्थ ठोस रूप में होता है। यह इस्तेमाल के समय दो घंटे तक काम करता है। दो घंटे बाद यह पदार्थ तरल में बदल जाता है। खास बात यह है कि इस्तेमाल के बाद इस पैड को बदलने की जरूरत नहीं होती। हेलमेट को किसी छाया वाली जगह में आधे घंटे रखने पर मैटेरियल दोबारा ठोस में तब्दील हो जाता है। इससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है।  पर्यावरण व शरीर के लिए पूरी तरह अनुकूल  प्रो. जैन का कहना है कि पैड में इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ पर्यावरण व शरीर के लिए पूरी तरह अनुकूल है। इसमें जिस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है, वह बिलकुल सुरक्षित है। इससे किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ का उत्सर्जन नहीं होता।  कमर्शियल होने पर बढ़ सकती है क्षमता  जैन ने बताया कि अभी इसे केवल प्रयोग के तौर पर बनाया गया है। कोई कंपनी अगर इस तकनीक पर दिलचस्पी दिखाए तो इसकी इस्तेमाल की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यानी इसे एक बार में दो घंटे से ज्यादा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।  आर्मी से लेकर कामगारों तक के लिए उपयोगी जैन बताते हैं कि इस पैड का इस्तेमाल दोपहिया वाहनचालक तो कर ही सकते हैं, साथ ही सैनिक और कामगारों के लिए भी उपयोगी है। गर्मी और धूप में ड्यूटी के समय यह राहत प्रदान करेगा।

उन्होंने एक ऐसा पैड तैयार किया है, जिससे हेलमेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है और गर्मी तथा पसीने से राहत मिल जाती है। इस पैड को आसानी से हेलमेट के नीचे रखा भी जा सकता है। इस हेलमेट को एमिटी इंस्टीट्‌यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (मटैरियल एंड डिवाइस) के वैज्ञानिक प्रो. वीके जैन ने तैयार किया है।

प्रो. जैन ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि दोपहिया वाहनचालक गर्मियों के मौसम में हेलमेट पहनने से परहेज करते हैं। इससे दुर्घटनाओं में बाइक चालक जान गंवा बैठते हैं। इसलिए यह विचार आया कि क्यों न ऐसा हेलमेट बनाया जाए, जो गर्मी में चालकों को राहत प्रदान कर सके।

हमने एक ऐसा पैड बनाया, जिसे आसानी से हेलमेट में फिट किया जा सकता है। इसे हेलमेट के अंदर दो लेयरों के बीच में रखा जाता है। इससे हेलमेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है। पैड में फेस चेंज नैनो कंपोजिट मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है। यह पदार्थ 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी प्रभावी तरीके से काम करता है।

पैड में पदार्थ ठोस रूप में होता है। यह इस्तेमाल के समय दो घंटे तक काम करता है। दो घंटे बाद यह पदार्थ तरल में बदल जाता है। खास बात यह है कि इस्तेमाल के बाद इस पैड को बदलने की जरूरत नहीं होती। हेलमेट को किसी छाया वाली जगह में आधे घंटे रखने पर मैटेरियल दोबारा ठोस में तब्दील हो जाता है। इससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है।

पर्यावरण व शरीर के लिए पूरी तरह अनुकूल

प्रो. जैन का कहना है कि पैड में इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ पर्यावरण व शरीर के लिए पूरी तरह अनुकूल है। इसमें जिस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है, वह बिलकुल सुरक्षित है। इससे किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ का उत्सर्जन नहीं होता।

कमर्शियल होने पर बढ़ सकती है क्षमता

जैन ने बताया कि अभी इसे केवल प्रयोग के तौर पर बनाया गया है। कोई कंपनी अगर इस तकनीक पर दिलचस्पी दिखाए तो इसकी इस्तेमाल की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यानी इसे एक बार में दो घंटे से ज्यादा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

आर्मी से लेकर कामगारों तक के लिए उपयोगी जैन बताते हैं कि इस पैड का इस्तेमाल दोपहिया वाहनचालक तो कर ही सकते हैं, साथ ही सैनिक और कामगारों के लिए भी उपयोगी है। गर्मी और धूप में ड्यूटी के समय यह राहत प्रदान करेगा।

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