सुकमा हमला: अप्रैल का महीना, वही जगह, वही दिन और शहादत की नई….

New Delhi: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र जिला सुकमा में एक बार फिर से पुराने हमले की याद दिला दी। वहीं जगह, अप्रैल का ही महिला, मंगलवार का दिन नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गये है।

इस दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवानों के हथियार भी लूटकर ले गये हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने आपात बैठक बुलाई है। गृह सचिव इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। बता दें कि इस हमले से करीब सात साल पहले 6 अप्रैल 2010 को सुकमा में सीआरपीएफ के 76 जवानों मे खूनी होली खेली थी। उस वक्त 76 जवान शहीद हुए थे। वक्त और वारदात की जगह के बीच अप्रैल के ये महीना एक बार फिर सीआरपीएफ के जवानों के लिए एक बार फिर मनहूस साबित हुआ। 

बताया जाता है कि जिस जगह पर हमला हुआ है, वह पहले से ही नक्सलियों की राजधानी के लिए मशहूर रहा है। यह वही जगह है जहां से कुछ दूरी पर ताड़मेटला, चिंतागुफा और नक्सलियों के पनाहगाह के रूप में मशहूर कई जगह हैं। दरअसल सुकमा का ये जंगल इतना अधिक घना है कि वहां से वारदात को अंजाम देकर भागना बेहद आसान है। 

गौरतलब है कि 2010 में हुआ नक्सली हमला दुनिया का सबसे बड़ा नक्सली हमला कहा गया था। और साल 2017 में एक बार फिर से सुकमा की जमीन जवानों के खून लाल हुई है। अब तक 26 जवान शहीद हुए हैं। 25 मई 2013 को एक बार नक्सलियों ने खूनी होली खेली है।  शहीदों की संख्या के लिहाज से देखें तो ये दूसरा बड़ा हमला था, लेकिन उस हमले में जवान नही तो बल्कि 30 से ज्यादा कांग्रेसी नेता मारे गए थे। 

इस हमले के ठीक 1 साल बाद 11 मार्च 2014 को झीरम इलाके में 15 जवान शहीद हो गए थे। ये हमला भी सीआरपीएफ के जवानों पर ही हुआ था। रोड ओपनिंग के लिए निकली पार्टी पर नक्सली हमला हुआ था। 12 अप्रैल 2014 को एक बार फिर दो जगहों पर अलग अलग वारदात हुई जिसमें 5 जवानों सहित कुल 14 लोगों की मौत हुई।इस हमले में पहली बार किसी एम्बुलेंस को निशाना बनाया गया। एम्बुलेंस बीमार जवानों को लेकर जा रहा था।

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