सैलरी स्लिप की ये खास बातें आपको भी नहीं पता

हर व्यक्ति अपनी सैलरी को लेकर जितना उत्साहित रहता है उतना उत्साह अपनी सैलरी स्लिप को लेकर नहीं दिखाता है। जबकि ये जरूरी है कि सैलरी स्लिप में आपके पूरे वेतन की एक-एक पैसे की जानकारी दी जाती है।

सैलरी स्लिप की ये खास बातें आपको भी नहीं पताइसीलिए आपके लिए ये जनना जरूरी है कि सैलरी स्लिप में वेतन से किस बात के लिए कितनी राशि की कटौती की गई है। जब आप अपनी सेलरी स्लिप देखते हैं तो उसमें मुख्यत: दो या फिर तीन कॉलम बने रहते हैं।
पहले कॉलम में आपके हाथ में आने वाली सैलरी यानि इनहैंड सैलरी होती है और दूरे कॉलम में वेतन से कटौती करने के बाद बची राशि का विवरण रहता है। कुछ सैलरी स्लिप में तीसरा कॉलम, कितनी राशि की कटौती किस लिए की गई यह दर्शाने के लिए किया गया रहता है।
बेसिक सेलरी किसी भी सेलरी स्लिप में बेसिक सैलरी का जिक्र सबसे पहले किया जाता है। बेसिक सैलरी कुल वेतन का 30 से 45 फीसदी तक होती है। बेसिक सैलरी पर ही आपको टैक्स देना होता है। यह 100 प्रतिशत टैक्सेबल होती है।
हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
सैलरी स्लिप में HRA का भी जिक्र रहता है। HRA बेसिक सैलरी का 50 फीसदी तक हो सकता है। यह शहर-शहर पर निर्भर करता है कि आपका HRA कितना होगा। अगर आप दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर या फिर हैदराबाद जैसे शहर में रह रहे हैं तो आपका HRA 50 फीसदी तक होगा और अगर आप जयपुर, भोपाल, लखनऊ, जैसे शहर में रह रहे हैं तो यह HRA 40 फीसदी तक रहेगा।
बेसिक सेलरी
किसी भी सेलरी स्लिप में बेसिक सैलरी का जिक्र सबसे पहले किया जाता है। बेसिक सैलरी कुल वेतन का 30 से 45 फीसदी तक होती है। बेसिक सैलरी पर ही आपको टैक्स देना होता है। यह 100 प्रतिशत टैक्सेबल होती है। आपकी बेसिक सैलरी जितनी ज्यादा होगी आपका टैक्स उतना ही कटेगा।
कन्विंस अलाउंस या ट्रैवेल अलाउंस (वाहन भत्ता/यात्रा भत्ता)
कन्विंस अलाउंस कंपनी आपको तब देती है जब आप कंपनी के काम से कहीं यात्रा करते हैं। इसमें मिलने वाला पैसे इनहैंड सैलरी में जुड़कर मिलता है।
मेडिकल अलाउंस
यह अलाउंस आपको मेडिकल कवर के रूप में दिया जाता है। इस सुविधा का इस्तेमाल कर्मचारी जरूरत पड़ने पर कर सकते हैं। जैसे 21000 रुपए तक की राशि पर ESIC के लिए कुछ पैसा कटता है इसे कर्मचारी की स्वास्थय जरूरतों के लिए काटा जाता है। पहले यह कटौती 15000 रुपए तक थी जिसे अब सरकार ने बढ़ाकर 21,000 रुपए कर दिया है।
आयकर (इनकम टैक्स)
इसका जिक्र आपकी मासिक सैलरी स्लिप में नहीं होता, लेकिन यह आयकर के रूप में लिया जाता है। यदि आप टैक्स भरते हैं, तो मई की सैलरी स्लिप में आप इसके ब्योरा देख सकते हैं। यह पैसा भारत सरकार के टैक्स स्लेब के अनुसार कटता है।
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