मुंबई: सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ कांड में अभियोजन पक्ष का एक और गवाह अपने बयान से पलट गया है, इसके साथ ही अब तक बयानों से पलटने वाले गवाहों की संख्या 53 हो गई है. शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत में गवाह अशोक कुमार भटनागर से विशेष न्यायाधीश एस जे शर्मा के सामने सीबीआई ने सोहराबुद्दीन और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति के मामले में पूछताछ की . सोहराबुद्दीन और तुलसी क्रमशः 2005 और 2006 में मारे गए थे, उस समय अशोक उदयपुर में जिलाधिकारी के कार्यालय में न्यायिक अनुभाग में जूनियर क्लर्क के रुप में काम कर रहा था. इससे पहले अपने बयान में अशोक ने कहा था कि सीबीआई ने प्रजापति एवं दो अन्य द्वारा उदयपुर के जिलाधिकारी को लिखे गए तीन पत्र उसे दिखाए थे. उनमें एक पत्र 11 मई, 2006 को हिंदी में टाइप किया गया था. अशोक ने कहा था कि ये तीनों जयपुर की केंद्रीय जेल में 25 मार्च, 2006 हमले के आरोप में सजा काट रहे थे, जिलाधिकारी के कार्यालय में यह आवेदन 16 मई, 2006 को डाक के माध्यम से पहुंचा था. न्यायिक अनुभाग में उसने यह पत्र हासिल किया था. उस पर जरुरी कार्रवाई के बाद उसे आगे की कार्रवाई के लिए जिला पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया गया था, लेकिन शुक्रवार में उसने जांच एजेंसी द्वारा कोई पत्र दिखाए जाने या प्रजापति का आवेदन हासिल करने से इनकार कर दिया. आपको बता दें कि अदालत ने जिन 78 गवाहों से पूछताछ की है, उनमे से 53 अपने बयानों से मुकर चुके हैं.

सोहराबुद्दीन केस: एक और गवाह बयान से पलटा

 सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ कांड में अभियोजन पक्ष का एक और गवाह अपने बयान से पलट गया है, इसके साथ ही अब तक बयानों से पलटने वाले गवाहों की संख्या 53 हो गई है. शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत में गवाह अशोक कुमार भटनागर से विशेष न्यायाधीश एस जे शर्मा के सामने सीबीआई ने सोहराबुद्दीन और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति  के मामले में पूछताछ की .मुंबई: सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ कांड में अभियोजन पक्ष का एक और गवाह अपने बयान से पलट गया है, इसके साथ ही अब तक बयानों से पलटने वाले गवाहों की संख्या 53 हो गई है. शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत में गवाह अशोक कुमार भटनागर से विशेष न्यायाधीश एस जे शर्मा के सामने सीबीआई ने सोहराबुद्दीन और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति  के मामले में पूछताछ की .  सोहराबुद्दीन और तुलसी क्रमशः 2005 और 2006 में मारे गए थे, उस समय अशोक उदयपुर में जिलाधिकारी के कार्यालय में न्यायिक अनुभाग में जूनियर क्लर्क के रुप में काम कर रहा था. इससे पहले अपने बयान में अशोक ने कहा था कि सीबीआई ने प्रजापति एवं दो अन्य द्वारा उदयपुर के जिलाधिकारी को लिखे गए तीन पत्र उसे दिखाए थे. उनमें एक पत्र 11 मई, 2006 को हिंदी में टाइप किया गया था.  अशोक ने कहा था कि ये तीनों जयपुर की केंद्रीय जेल में  25 मार्च, 2006 हमले के आरोप में सजा काट रहे थे, जिलाधिकारी के कार्यालय में यह आवेदन 16 मई, 2006 को डाक के माध्यम से पहुंचा था. न्यायिक अनुभाग में उसने यह पत्र हासिल किया था. उस पर जरुरी कार्रवाई के बाद उसे आगे की कार्रवाई के लिए जिला पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया गया था, लेकिन शुक्रवार में उसने जांच एजेंसी द्वारा कोई पत्र दिखाए जाने या प्रजापति का आवेदन हासिल करने से इनकार कर दिया. आपको बता दें कि अदालत ने जिन 78 गवाहों से पूछताछ की है, उनमे से 53 अपने बयानों से मुकर चुके हैं.

सोहराबुद्दीन और तुलसी क्रमशः 2005 और 2006 में मारे गए थे, उस समय अशोक उदयपुर में जिलाधिकारी के कार्यालय में न्यायिक अनुभाग में जूनियर क्लर्क के रुप में काम कर रहा था. इससे पहले अपने बयान में अशोक ने कहा था कि सीबीआई ने प्रजापति एवं दो अन्य द्वारा उदयपुर के जिलाधिकारी को लिखे गए तीन पत्र उसे दिखाए थे. उनमें एक पत्र 11 मई, 2006 को हिंदी में टाइप किया गया था.

अशोक ने कहा था कि ये तीनों जयपुर की केंद्रीय जेल में  25 मार्च, 2006 हमले के आरोप में सजा काट रहे थे, जिलाधिकारी के कार्यालय में यह आवेदन 16 मई, 2006 को डाक के माध्यम से पहुंचा था. न्यायिक अनुभाग में उसने यह पत्र हासिल किया था. उस पर जरुरी कार्रवाई के बाद उसे आगे की कार्रवाई के लिए जिला पुलिस अधीक्षक के पास भेज दिया गया था, लेकिन शुक्रवार में उसने जांच एजेंसी द्वारा कोई पत्र दिखाए जाने या प्रजापति का आवेदन हासिल करने से इनकार कर दिया. आपको बता दें कि अदालत ने जिन 78 गवाहों से पूछताछ की है, उनमे से 53 अपने बयानों से मुकर चुके हैं. 

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