तमिलनाडु के तूतीकोरिन में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच राज्य सरकार ने स्टरलाइट कॉपर वेदांता लिमिटेड के यूनिट को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद देश में तांबे की आपूर्ति पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. देश में तांबे की सालाना जरूरत में इस प्लांट की 40 फीसदी हिस्सेदारी थी. इस कमी को सरकार तांबा आयात कर पूरी कर सकती है, लेकिन इससे उसे हर साल 200 अरब रुपये का बोझ उठाना पड़ सकता है. छोटे कारोबारियों पर असर भारत हर साल 10 लाख टन तांबे का प्रोडक्शन करता है. इस कुल उत्पादन में स्टरलाइट प्लांट की हिस्सेदारी 40 फीसदी है. इस प्लांट के बंद होने की वजह से 800 छोटी और मीडियम यूनिट्स पर असर देखने को मिलेगा. इन यूनिट्स में केबल मैन्यूफैक्चरर्स, वाइंडिंग वायर यूनिट और ट्रांसफॉर्मर मैन्यूफैक्चरर्स समेत अन्य शामिल हैं. ये वो यूनिटे हैं, जो स्टरलाइट प्लांट से जुड़ी हुई थीं. तांबे की कीमतों में 2 फीसदी का इजाफा विशेषज्ञों का कहना है कि स्टरलाइट प्लांट बंद होने से घरेलू स्तर पर तांबे की आपूर्ति पर असर दिखना तय है. एडेलवीस के कमोडिटी एनालिस्ट अंक‍ित नरसाणा ने बिजनेस टुडे से बातचीत में बताया कि प्लांट बंद होने का असर अभी तांबे की कीमतें बढ़ने के तौर पर दिख सकता है. इसकी वजह से इसकी कीमतों में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. मौजूदा समय में बाजार में तांबा 455 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है. सरकार कर सकती है आयात उन्होंने इसके साथ ही कहा कि विश्व में होने वाले कुल तांबे के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 10 फीसदी है. अंक‍ित ने कहा कि कीमतों को नियंत्र‍ित करने के लिए इसका आयात बढ़ाया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो इसके लिए 3 अरब डॉलर (करीब 200 अरब रुपये) का खर्च सरकार को उठाना पड़ सकता है. 30 हजार से भी ज्यादा लोगों पर पड़ेगा असर तूतीकोरिन में जारी प्रदर्शन के दौरान स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पी. रामनाथ ने बिजनेस टुडे से बात की थी. इसमें उन्होंने बताया था कि यहां 3500 से ज्यादा लोग काम करते हैं. इसके अलावा 30 हजार से ज्यादा लोग हैं, जो अप्रत्यक्ष तौर पर प्लांट से जुड़े हुए हैं. ये लोग फर्टीलाइजर प्लांट के सल्फरिक एसिड और फॉस्फोरिक एसिड तैयार करते हैं. प्लांट बंद होने का सीधा असर इन पर पड़ेगा. इससे इन लोगों के लिए मुसीबत खड़ी होगी.

स्टरलाइट प्लांट बंद: महंगा होगा तांबा, सरकार पर पड़ सकता है 200 अरब का बोझ

तमिलनाडु के तूतीकोरिन में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच राज्य सरकार ने स्टरलाइट कॉपर वेदांता लिमिटेड के यूनिट को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद देश में तांबे की आपूर्ति पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. देश में तांबे की सालाना जरूरत में इस प्लांट की 40 फीसदी हिस्सेदारी थी. इस कमी को सरकार तांबा आयात कर पूरी कर सकती है, लेकिन इससे उसे हर साल 200 अरब रुपये का बोझ उठाना पड़ सकता है.तमिलनाडु के तूतीकोरिन में चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच राज्य सरकार ने स्टरलाइट कॉपर वेदांता लिमिटेड के यूनिट को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद देश में तांबे की आपूर्ति पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. देश में तांबे की सालाना जरूरत में इस प्लांट की 40 फीसदी हिस्सेदारी थी. इस कमी को सरकार तांबा आयात कर पूरी कर सकती है, लेकिन इससे उसे हर साल 200 अरब रुपये का बोझ उठाना पड़ सकता है.  छोटे कारोबारियों पर असर  भारत हर साल 10 लाख टन तांबे का प्रोडक्शन करता है. इस कुल उत्पादन में स्टरलाइट प्लांट की हिस्सेदारी 40 फीसदी है. इस प्लांट के बंद होने की वजह से 800 छोटी और मीडियम यूनिट्स पर असर देखने को मिलेगा. इन यूनिट्स में केबल मैन्यूफैक्चरर्स, वाइंडिंग वायर यूनिट और ट्रांसफॉर्मर मैन्यूफैक्चरर्स समेत अन्य शामिल हैं. ये वो यूनिटे हैं, जो स्टरलाइट प्लांट से जुड़ी हुई थीं.  तांबे की कीमतों में 2 फीसदी का इजाफा  विशेषज्ञों का कहना है कि स्टरलाइट प्लांट बंद होने से घरेलू स्तर पर तांबे की आपूर्ति  पर असर दिखना तय है. एडेलवीस के कमोडिटी एनालिस्ट अंक‍ित नरसाणा ने बिजनेस टुडे से बातचीत में बताया कि प्लांट बंद होने का असर अभी तांबे की कीमतें बढ़ने के तौर पर दिख सकता है. इसकी वजह से इसकी कीमतों में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.  मौजूदा समय में बाजार में तांबा 455 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है.  सरकार कर सकती है आयात  उन्होंने इसके साथ ही कहा कि विश्व में होने वाले कुल तांबे के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 10 फीसदी है. अंक‍ित ने कहा कि कीमतों को नियंत्र‍ित करने के लिए इसका आयात बढ़ाया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो इसके लिए 3 अरब डॉलर (करीब 200 अरब रुपये)  का खर्च सरकार को उठाना पड़ सकता है.     30 हजार से भी ज्यादा लोगों पर पड़ेगा असर  तूतीकोरिन में जारी प्रदर्शन के दौरान स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पी. रामनाथ ने बिजनेस टुडे से बात की थी. इसमें उन्होंने बताया था कि यहां 3500 से ज्यादा लोग काम करते हैं. इसके अलावा 30 हजार से ज्यादा लोग हैं, जो अप्रत्यक्ष तौर पर प्लांट से जुड़े हुए हैं. ये लोग फर्टीलाइजर प्लांट के सल्फरिक एसिड और फॉस्फोरिक एसिड तैयार करते हैं. प्लांट बंद होने का सीधा असर इन पर पड़ेगा. इससे इन लोगों के लिए मुसीबत खड़ी होगी.

भारत हर साल 10 लाख टन तांबे का प्रोडक्शन करता है. इस कुल उत्पादन में स्टरलाइट प्लांट की हिस्सेदारी 40 फीसदी है. इस प्लांट के बंद होने की वजह से 800 छोटी और मीडियम यूनिट्स पर असर देखने को मिलेगा. इन यूनिट्स में केबल मैन्यूफैक्चरर्स, वाइंडिंग वायर यूनिट और ट्रांसफॉर्मर मैन्यूफैक्चरर्स समेत अन्य शामिल हैं. ये वो यूनिटे हैं, जो स्टरलाइट प्लांट से जुड़ी हुई थीं.

विशेषज्ञों का कहना है कि स्टरलाइट प्लांट बंद होने से घरेलू स्तर पर तांबे की आपूर्ति  पर असर दिखना तय है. एडेलवीस के कमोडिटी एनालिस्ट अंक‍ित नरसाणा ने बिजनेस टुडे से बातचीत में बताया कि प्लांट बंद होने का असर अभी तांबे की कीमतें बढ़ने के तौर पर दिख सकता है. इसकी वजह से इसकी कीमतों में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है.  मौजूदा समय में बाजार में तांबा 455 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है.

उन्होंने इसके साथ ही कहा कि विश्व में होने वाले कुल तांबे के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 10 फीसदी है. अंक‍ित ने कहा कि कीमतों को नियंत्र‍ित करने के लिए इसका आयात बढ़ाया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो इसके लिए 3 अरब डॉलर (करीब 200 अरब रुपये)  का खर्च सरकार को उठाना पड़ सकता है.   

तूतीकोरिन में जारी प्रदर्शन के दौरान स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पी. रामनाथ ने बिजनेस टुडे से बात की थी. इसमें उन्होंने बताया था कि यहां 3500 से ज्यादा लोग काम करते हैं. इसके अलावा 30 हजार से ज्यादा लोग हैं, जो अप्रत्यक्ष तौर पर प्लांट से जुड़े हुए हैं. ये लोग फर्टीलाइजर प्लांट के सल्फरिक एसिड और फॉस्फोरिक एसिड तैयार करते हैं. प्लांट बंद होने का सीधा असर इन पर पड़ेगा. इससे इन लोगों के लिए मुसीबत खड़ी होगी. 

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