गर्व से दमकते चेहरों के इतराने का दिन था तो मेहनत को सलामी मिलने का भी। बेटे-बेटियों की खुशी पर माता-पिता के निहाल होने का दिन था तो भविष्य के सपने बुनने का भी। यह सबकुछ हुआ मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षा समारोह में। राज्यपाल राम नाईक की बतौर कुलाधिपति और मेट्रो मैन ई. श्रीधरन की बतौर मुख्य अतिथि मौजूदगी विश्वविद्यालय के एकेडमिक इतिहास को समृद्ध कर रही थी। राज्यपाल ने मेधावियों को स्वर्ण पदक और प्रशस्ति पत्र देकर उनकी मेधा को सलाम किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास सिंह ने इन्हें अपनी थाती बताया तो विश्वास भी जताया कि यह विश्वविद्यालय को नई पहचान से अलंकृत करेंगे। स्वर्ण पदक से बेटे-बेटियों के साथ मां-बाप भी निहाल यह भी पढ़ें तीसरे दीक्षा समारोह में एक-एक कर बीटेक, एमटेक, एमसीए और एमबीए की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करते हुए उपाधि प्राप्त कर रहे कुल 19 मेधावियों को गरिमामयी मंच पर आमंत्रित कर स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। आयोजन का समय 11 बजे निर्धारित था लेकिन 10 बजते-बजते समारोह स्थल विश्वविद्यालय का बहुद्देश्यीय हाल खचाखच भर गया। टॉपरों का उत्साह देखने लायक था, राज्यपाल के हाथों उन्हें मेडल जो लेना था। उनके लिए एक-एक मिनट भी भारी पड़ रहा था। 12 बजे के करीब जब मंच से यह गूंजा कि राज्यपाल शहर में पहुंच चुके हैं, सभी के चेहरे चमक उठे। फिर शुरू हो गया समारोह का औपचारिक कार्यक्रम। पूरे अदब के साथ राज्यपाल और मेट्रोमैन के साथ शैक्षणिक शोभा यात्रा समारोह हाल में पहुंची। मां सरस्वती व महामना मदन मोहन मालवीय के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर दीक्षांत समारोह की शुभारंभ हुआ। सबसे पहले कुलपति प्रो. एसएन सिंह ने आगंतुकों का स्वागत करने के साथ विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की फिर राज्यपाल द्वारा विद्यार्थियों को दीक्षोपदेश दिया गया। फिर शुरू हुआ उपाधि व स्वर्ण पदक वितरण का सिलसिला। गूंजती तालियों के बीच मेधावियों ने पदक और उपाधि प्राप्त की। पदक वितरण के बाद मुख्य अतिथि श्रीधरन दीक्षांत संबोधन के लिए आमंत्रित किए गए। उनके सारगर्भित 20 मिनट के संबोधन को हाल में मौजूद सभी ने पूरी गंभीरता और तल्लीनता से सुना और उसे आत्मसात करने की कोशिश की। राज्यपाल राम नाईक के प्रेरणादायी अध्यक्षीय संबोधन को लोगों ने उसी तल्लीनता से सुना। धन्यवाद ज्ञापन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर कुलसचिव यूसी जायसवाल ने मंच से समारोह के समापन की घोषणा की। संचालन की जिम्मेदारी डॉ. बीके पांडेय ने निभाई। उसके बाद शुरू हुआ फोटो सेशन का दौर। हर कोई इस अद्भुत पल को तस्वीरों में कैद करते दिखा। कोई दोस्तों के साथ फोटो सेशन करा रहा तो कोई अपने अभिभावकों के साथ। एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने और बधाई व धन्यवाद का सिलसिला काफी देर तक जारी रहा। --------- माता-पिता हुए भावुक एमएमएमयूटी महिला क्लब ने लोगों को बांटे कंबल यह भी पढ़ें दीक्षा समारोह में स्वर्ण पदक पाना किसी सपने से कम नहीं होता ऐसे में पदक प्राप्त करने वाले मेधावियों के उत्साह और उमंग की कल्पना की जा सकती है। इस उत्साह को भावुक पलों में बदल दिया अभिभावकों की मौजूदगी ने, जो अपने बच्चों को सम्मानित होने के इस गौरवमयी पल के गवाह बने। पदक पाते देख अभिभावकों के चेहरे की खुशी देखने लायक थी। ---- राज्यपाल ने पूछा, विवरणिका में श्रीधरन का भाषण है क्या? अपने संबोधन में राज्यपाल राम नाईक ने दीक्षा समारोह में मेट्रो मैन की मौजूदगी को विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण पल बताया। संबोधन की दौरान जब वह मेट्रो मैन से अपने संबंध और उनकी खूबियों की चर्चा कर रहे थे तभी उन्हें याद आया कि समारोह की शुरुआत में संचालक ने ई. श्रीधरन की उपलब्धियों भरा जीवन वृत्त बताया था। उन्होंने संबोधन को रोककर कुलपति से पूछा कि क्या दीक्षा समारोह की विवरणिका में श्रीधरन का जीवन वृत्त और भाषण छपा है क्या। जब उन्हें इसका उत्तर हां में मिला तो विद्यार्थियों से अपील की कि वह उसका भगवद्गीता के तरह अध्ययन करें। इससे जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता खुद-ब-खुद साफ होता जाएगा।

स्वर्ण पदक से बेटे-बेटियों के साथ मां-बाप भी निहाल, भावुक हुआ माहौल

गर्व से दमकते चेहरों के इतराने का दिन था तो मेहनत को सलामी मिलने का भी। बेटे-बेटियों की खुशी पर माता-पिता के निहाल होने का दिन था तो भविष्य के सपने बुनने का भी। यह सबकुछ हुआ मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षा समारोह में। राज्यपाल राम नाईक की बतौर कुलाधिपति और मेट्रो मैन ई. श्रीधरन की बतौर मुख्य अतिथि मौजूदगी विश्वविद्यालय के एकेडमिक इतिहास को समृद्ध कर रही थी। राज्यपाल ने मेधावियों को स्वर्ण पदक और प्रशस्ति पत्र देकर उनकी मेधा को सलाम किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास सिंह ने इन्हें अपनी थाती बताया तो विश्वास भी जताया कि यह विश्वविद्यालय को नई पहचान से अलंकृत करेंगे।गर्व से दमकते चेहरों के इतराने का दिन था तो मेहनत को सलामी मिलने का भी। बेटे-बेटियों की खुशी पर माता-पिता के निहाल होने का दिन था तो भविष्य के सपने बुनने का भी। यह सबकुछ हुआ मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षा समारोह में। राज्यपाल राम नाईक की बतौर कुलाधिपति और मेट्रो मैन ई. श्रीधरन की बतौर मुख्य अतिथि मौजूदगी विश्वविद्यालय के एकेडमिक इतिहास को समृद्ध कर रही थी। राज्यपाल ने मेधावियों को स्वर्ण पदक और प्रशस्ति पत्र देकर उनकी मेधा को सलाम किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास सिंह ने इन्हें अपनी थाती बताया तो विश्वास भी जताया कि यह विश्वविद्यालय को नई पहचान से अलंकृत करेंगे।   स्वर्ण पदक से बेटे-बेटियों के साथ मां-बाप भी निहाल यह भी पढ़ें तीसरे दीक्षा समारोह में एक-एक कर बीटेक, एमटेक, एमसीए और एमबीए की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करते हुए उपाधि प्राप्त कर रहे कुल 19 मेधावियों को गरिमामयी मंच पर आमंत्रित कर स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। आयोजन का समय 11 बजे निर्धारित था लेकिन 10 बजते-बजते समारोह स्थल विश्वविद्यालय का बहुद्देश्यीय हाल खचाखच भर गया। टॉपरों का उत्साह देखने लायक था, राज्यपाल के हाथों उन्हें मेडल जो लेना था। उनके लिए एक-एक मिनट भी भारी पड़ रहा था। 12 बजे के करीब जब मंच से यह गूंजा कि राज्यपाल शहर में पहुंच चुके हैं, सभी के चेहरे चमक उठे। फिर शुरू हो गया समारोह का औपचारिक कार्यक्रम। पूरे अदब के साथ राज्यपाल और मेट्रोमैन के साथ शैक्षणिक शोभा यात्रा समारोह हाल में पहुंची। मां सरस्वती व महामना मदन मोहन मालवीय के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर दीक्षांत समारोह की शुभारंभ हुआ। सबसे पहले कुलपति प्रो. एसएन सिंह ने आगंतुकों का स्वागत करने के साथ विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की फिर राज्यपाल द्वारा विद्यार्थियों को दीक्षोपदेश दिया गया। फिर शुरू हुआ उपाधि व स्वर्ण पदक वितरण का सिलसिला। गूंजती तालियों के बीच मेधावियों ने पदक और उपाधि प्राप्त की। पदक वितरण के बाद मुख्य अतिथि श्रीधरन दीक्षांत संबोधन के लिए आमंत्रित किए गए। उनके सारगर्भित 20 मिनट के संबोधन को हाल में मौजूद सभी ने पूरी गंभीरता और तल्लीनता से सुना और उसे आत्मसात करने की कोशिश की। राज्यपाल राम नाईक के प्रेरणादायी अध्यक्षीय संबोधन को लोगों ने उसी तल्लीनता से सुना। धन्यवाद ज्ञापन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर कुलसचिव यूसी जायसवाल ने मंच से समारोह के समापन की घोषणा की। संचालन की जिम्मेदारी डॉ. बीके पांडेय ने निभाई। उसके बाद शुरू हुआ फोटो सेशन का दौर। हर कोई इस अद्भुत पल को तस्वीरों में कैद करते दिखा। कोई दोस्तों के साथ फोटो सेशन करा रहा तो कोई अपने अभिभावकों के साथ। एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने और बधाई व धन्यवाद का सिलसिला काफी देर तक जारी रहा।  ---------  माता-पिता हुए भावुक   एमएमएमयूटी महिला क्लब ने लोगों को बांटे कंबल यह भी पढ़ें दीक्षा समारोह में स्वर्ण पदक पाना किसी सपने से कम नहीं होता ऐसे में पदक प्राप्त करने वाले मेधावियों के उत्साह और उमंग की कल्पना की जा सकती है। इस उत्साह को भावुक पलों में बदल दिया अभिभावकों की मौजूदगी ने, जो अपने बच्चों को सम्मानित होने के इस गौरवमयी पल के गवाह बने। पदक पाते देख अभिभावकों के चेहरे की खुशी देखने लायक थी।  ----  राज्यपाल ने पूछा, विवरणिका में श्रीधरन का भाषण है क्या?  अपने संबोधन में राज्यपाल राम नाईक ने दीक्षा समारोह में मेट्रो मैन की मौजूदगी को विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण पल बताया। संबोधन की दौरान जब वह मेट्रो मैन से अपने संबंध और उनकी खूबियों की चर्चा कर रहे थे तभी उन्हें याद आया कि समारोह की शुरुआत में संचालक ने ई. श्रीधरन की उपलब्धियों भरा जीवन वृत्त बताया था। उन्होंने संबोधन को रोककर कुलपति से पूछा कि क्या दीक्षा समारोह की विवरणिका में श्रीधरन का जीवन वृत्त और भाषण छपा है क्या। जब उन्हें इसका उत्तर हां में मिला तो विद्यार्थियों से अपील की कि वह उसका भगवद्गीता के तरह अध्ययन करें। इससे जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता खुद-ब-खुद साफ होता जाएगा।

तीसरे दीक्षा समारोह में एक-एक कर बीटेक, एमटेक, एमसीए और एमबीए की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करते हुए उपाधि प्राप्त कर रहे कुल 19 मेधावियों को गरिमामयी मंच पर आमंत्रित कर स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। आयोजन का समय 11 बजे निर्धारित था लेकिन 10 बजते-बजते समारोह स्थल विश्वविद्यालय का बहुद्देश्यीय हाल खचाखच भर गया। टॉपरों का उत्साह देखने लायक था, राज्यपाल के हाथों उन्हें मेडल जो लेना था। उनके लिए एक-एक मिनट भी भारी पड़ रहा था। 12 बजे के करीब जब मंच से यह गूंजा कि राज्यपाल शहर में पहुंच चुके हैं, सभी के चेहरे चमक उठे। फिर शुरू हो गया समारोह का औपचारिक कार्यक्रम। पूरे अदब के साथ राज्यपाल और मेट्रोमैन के साथ शैक्षणिक शोभा यात्रा समारोह हाल में पहुंची। मां सरस्वती व महामना मदन मोहन मालवीय के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर दीक्षांत समारोह की शुभारंभ हुआ। सबसे पहले कुलपति प्रो. एसएन सिंह ने आगंतुकों का स्वागत करने के साथ विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की फिर राज्यपाल द्वारा विद्यार्थियों को दीक्षोपदेश दिया गया। फिर शुरू हुआ उपाधि व स्वर्ण पदक वितरण का सिलसिला। गूंजती तालियों के बीच मेधावियों ने पदक और उपाधि प्राप्त की। पदक वितरण के बाद मुख्य अतिथि श्रीधरन दीक्षांत संबोधन के लिए आमंत्रित किए गए। उनके सारगर्भित 20 मिनट के संबोधन को हाल में मौजूद सभी ने पूरी गंभीरता और तल्लीनता से सुना और उसे आत्मसात करने की कोशिश की। राज्यपाल राम नाईक के प्रेरणादायी अध्यक्षीय संबोधन को लोगों ने उसी तल्लीनता से सुना। धन्यवाद ज्ञापन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर कुलसचिव यूसी जायसवाल ने मंच से समारोह के समापन की घोषणा की। संचालन की जिम्मेदारी डॉ. बीके पांडेय ने निभाई। उसके बाद शुरू हुआ फोटो सेशन का दौर। हर कोई इस अद्भुत पल को तस्वीरों में कैद करते दिखा। कोई दोस्तों के साथ फोटो सेशन करा रहा तो कोई अपने अभिभावकों के साथ। एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने और बधाई व धन्यवाद का सिलसिला काफी देर तक जारी रहा।

माता-पिता हुए भावुक

दीक्षा समारोह में स्वर्ण पदक पाना किसी सपने से कम नहीं होता ऐसे में पदक प्राप्त करने वाले मेधावियों के उत्साह और उमंग की कल्पना की जा सकती है। इस उत्साह को भावुक पलों में बदल दिया अभिभावकों की मौजूदगी ने, जो अपने बच्चों को सम्मानित होने के इस गौरवमयी पल के गवाह बने। पदक पाते देख अभिभावकों के चेहरे की खुशी देखने लायक थी।

राज्यपाल ने पूछा, विवरणिका में श्रीधरन का भाषण है क्या?

अपने संबोधन में राज्यपाल राम नाईक ने दीक्षा समारोह में मेट्रो मैन की मौजूदगी को विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण पल बताया। संबोधन की दौरान जब वह मेट्रो मैन से अपने संबंध और उनकी खूबियों की चर्चा कर रहे थे तभी उन्हें याद आया कि समारोह की शुरुआत में संचालक ने ई. श्रीधरन की उपलब्धियों भरा जीवन वृत्त बताया था। उन्होंने संबोधन को रोककर कुलपति से पूछा कि क्या दीक्षा समारोह की विवरणिका में श्रीधरन का जीवन वृत्त और भाषण छपा है क्या। जब उन्हें इसका उत्तर हां में मिला तो विद्यार्थियों से अपील की कि वह उसका भगवद्गीता के तरह अध्ययन करें। इससे जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता खुद-ब-खुद साफ होता जाएगा।

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