हर वक्त आपके डेबिट-क्रेडिट कार्ड पर नजर रखते हैं कुछ लोग, धोखेबाजों के जाल से ऐसे बचें

प्‍लास्टिक मनी यानी क्रेडिट व डेबिट कार्ड का इस्‍तेमाल नगद खरीदारी के आंकड़ों को बहुत पीछे छोड़ चुका है। जैसे-जैसे प्‍लास्टिक मनी का चलन बढ़ रहा है, फ्रॉड के खतरे भी बढ़ गए हैं। इसकी बड़ी वजह है डिजिटल बैंकिंग लिट्रेसी की कमी। आज हम आपको बताएंगे क‍ि आप कहां-कहां प्‍लास्टिक मनी का इस्‍तेमाल कर सकते हैं और इसके फायदे क्‍या हैं। इसके साथ ही जानिए क‍ि क‍िस-किस तरह की धोखाधड़ी आपके साथ हो सकती है और इनसे बचने का तरीका क्‍या है।

कहां-कहां कर सकते हैं इस्‍तेमाल
डेबिट व क्रेडिट कार्ड का इस्‍तेमाल कहां-कहां किया जा सकता है इससे बेहतर यह जानना होगा कि इसका इस्‍तेमाल कहां नहीं किया जा सकता। जी, ऐसी कोई जगह नहीं है जहां प्‍लास्टिक मनी स्‍वीकार न की जाती हो बशर्ते वेंडर के पास इसकी सुविधा हो। नोटबंदी के बाद तो गली-नुक्‍कड़ के दुकानदार भी स्‍वाइप मशीन रखने लगे हैं। हां, इसकी लिमिट जरूर है।

डेबिट कार्ड की लिमिट और इसका शुल्‍क
जैसे स्‍टेट बैंक का क्‍लासिक डेबिट तथा शॉपिंग कार्ड आपको न्‍यूनतम 500 रुपये व अधिकतम 40000 रुपये दैनिक इस्‍तेमाल की सुविधा देता है। इसे जारी करने का बैंक कोई शुल्‍क नहीं लेता, हालांकि रखरखाव के नाम पर 100 रुपये वार्षिक और सेवा कर अतिरिक्‍त चार्ज करता है। अन्‍य बैंकों में लिमिट और शुल्‍क इससे भिन्‍न हो सकता है।

क्रेडिट कार्ड की लिमिट और इसका शुल्‍क
ज्यादातर क्रेडिट कार्ड कंपनियां कार्ड धारक को क्रेडिट लिमिट से ऊपर एक निश्चित सीमा तक खर्च की अनुमति देती हैं। मगर ज्यादातर मामलों में एक माह के भीतर इस अतिरिक्त सीमा का उपयोग करने पर सरचार्ज या अतिरिक्त ब्याज लगता है। क्रेडिट कार्ड जारी कराने के लिए आपको एक फॉर्म भरने को दिया जाता है। इसमें आपके व्यक्तिगत विवरण के अलावा रोजगार व आमदनी आदि का ब्योरा होता है। इस ब्योरे के आधार पर क्रेडिट कार्ड कंपनी पहले आपका सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर व सिबिल रिपोर्ट चेक करती है। इसके जरिये आपके उधार लेने व उसे चुकाने का रिकॉर्ड और इतिहास जाना जाता है। यदि आपका सिबिल ट्रांसयूनियन स्कोर क्रेडिट कार्ड कंपनी की कट-ऑफ लिमिट के अनुकूल हुआ तो उससे संतुष्ट होने के बाद वह आपकी क्रेडिट कार्ड लिमिट के अलावा वसूली जाने वाली ब्याज दर व शर्तों के पुनरीक्षण की दिशा में आगे बढ़ती है। आप एक निश्चित सीमा तक क्रेडिट कार्ड की लिमिट को पार कर खर्च कर सकते हैं, लेकिन इस पर सरचार्ज या अतिरिक्‍त ब्‍याज लगता है।

कैसी-कैसी धोखाधड़ी
प्‍लास्टिक मनी के इस्‍तेमाल से पहले आपको मालूम होना चाहिए कि आपके साथ किस तरह से धोखाधड़ी हो सकती है।
– धोखाधड़ी करने वाला अक्‍सर आपको फोन कर आपके कार्ड से संबंधित जानकारी जैसे कार्ड नंबर, सीवीवी, एक्‍सपाइरी डेट आदि मालूम कर सकता है।
– स्किमिंग : एटीएम के कार्ड रीडर स्‍लॉट में स्किमिंग डिवाइस लगा दी जाती है। जब आप अपना कार्ड मशीन में डालते हैं तो यह डिवाइस आपका सारा डाटा चुरा लेती है। मशीन के पास कैमरा लगाकर धोखेबाज आपका पिन भी जान सकते हैं।
– कार्ड ट्रैपिंग : यह एक बार्ब या कांटा होता है। इसके जरिए आपके कार्ड को मशीन में फंसा लिया जाता है। बाद में इसको निकाला जा सकता है।
– शोल्‍डर सर्फिंग : अगर एटीएम बूथ में जरूरत पड़ने पर कोई आपकी मदद के लिए आता है, तो वह आपका पिन चोरी से देखने की कोशिश कर सकता है।
– गोपनीय जानकारी लिखना: अगर आपने अपना पिन कार्ड पर लिख दिया है और आप उसको कहीं भूल आए तो समझ लीजिए आपने चोर का काम आसान कर दिया है।

ऑनलाइन ट्रांजेक्‍शन
– ई-शॉपिंग या ऑनलाइन पेमेंट करते वक्‍त आपका फोन या कंप्‍यूटर आपका डाटा स्‍टोर कर लेता है।
– इसके अलावा फिशिंग, पब्लिक वाईफाई, मालवेयर, असुरक्षित एप्‍लीकेशन के जरिए भी आपके साथ फ्रॉड किया जा सकता है।

कैसे बचें धोखाधड़ी से

एटीएम इस्‍तेमाल करते समय रखें ध्‍यान
– एटीएम यूज करने से पहले देख लें कि मशीन क्षतिग्रस्‍त, अधिक पुरानी, खुली, टूटी हुई तो नहीं है।
– पिन डालते वक्‍त एटीएम के कीपैड काे अच्छे से ढक लें
– एटीएम इस्‍तेमाल करते समय किसी की मदद न लें
– एटीएम बूथ में आपके अलावा किसी और यूजर को न आने दें। हालांकि अधिकतर बूथ में लिखा भी होता है कि एक बार में एक ही ग्राहक बूथ में जाए। अगर फिर भी काेई आपके पीछे आ जाता है तो उसको मना कर दें।

ऑनलाइन सावधानियां
– सुरक्षित वेबसाइट का ही इस्‍तेमाल करें (जिन वेबसाइट के यूआरएल http:// से शुरू होते हों वहां अपने कार्ड की डिटेल देने से बचें। https:// से शुरू होने वाले यूआरएल वाली वेबसाइट पर ही अपने कार्ड डिटेल दें।)
– एंटी वायरस अपडेट रखें
– कार्ड के पीछे दर्ज तीन अंकों का सीवीवी नंबर किसी वेबसाइट पर डालते वक्‍त वर्चुअल कीपैड का इस्‍तेमाल करें
– ऑनलाइन ट्रांजेक्‍शन करते वक्‍त सार्वजनिक वाईफाई का इस्‍तेमाल कतई न करें
– हर ट्रांजेक्‍शन के अलर्ट की सुविधा रखें। अपने बैंक से इसके लिए संपर्क कर सकते हैं।
– समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहें। हालांकि कई बैंक की वेबसाइट पर कुछ अंतराल पर आपका पासवर्ड स्‍वत: एक्‍सपायर हो जाता है। लॉगइन करते वक्‍त नया पासवर्ड बनाने से पहले आपसे पुराना पासवर्ड मांगा जाता है।

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