नई दिल्ली : देश का रक्षा अनुसन्धान संगठन अर्थात डीआरडीओ अब अगली पीढ़ी के हल्के ब्रह्मोस मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है.इसके लिए चालू वित्त वर्ष में 18 हजार करोड़ रुपये की निवेश योजना पर विचार किया गया है.इसमें हल्के ब्रह्मोस का निर्माण भी शामिल है. बता दें कि चेन्नई में चल रही रक्षा प्रदर्शनी में रक्षा शोध संस्थान के चेयरमैन एस. क्रिस्टोफर ने बताया कि संगठन ने करीब 25-30 फीसदी राशि का आवंटन नई परियोजना के विकास के लिए किया है. ब्रह्मोस को भी पनडुब्बी, शिप और विमान से छोड़ने की योजना भी बन रही है. वहीं ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी सुधीर मिश्रा ने बताया कि हमारे पास अगली पीढ़ी के ब्रह्मोस मिसाइल विकसित करने का प्रस्ताव है. इसे ब्रह्मोस एनजी मिसाइल नाम दिया जाएगा. हालाँकि यह मिसाइल वर्तमान ब्रह्मोस की तुलना में हल्की होगी, लेकिन इसकी रेंज समान ही होगी. खास बात यह है कि इसे विभिन्न प्लेटफॉर्म से छोड़ा जा सकेगा. उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में मौजूद संचार प्रणाली के महानिदेशक जे. मंजुला कहा कि डीआरडीओ लंबी दूरी के राडार पर काम कर रहा है जो 1000 किमी को कवर करेगा.जबकि वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि उस एंटी टैंक मिसाइल पर काम किया जा रहा है, जिसे हेलीकॉप्टर के साथ ही जमीन से भी दागा जा सके.

हल्की ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा डीआरडीओ

 देश का रक्षा अनुसन्धान संगठन अर्थात डीआरडीओ अब अगली पीढ़ी के हल्के ब्रह्मोस मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है.इसके लिए चालू वित्त वर्ष में 18 हजार करोड़ रुपये की निवेश योजना पर विचार किया गया है.इसमें हल्के ब्रह्मोस का निर्माण भी शामिल है.नई दिल्ली : देश का रक्षा अनुसन्धान संगठन अर्थात डीआरडीओ अब अगली पीढ़ी के हल्के ब्रह्मोस मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है.इसके लिए चालू वित्त वर्ष में 18 हजार करोड़ रुपये की निवेश योजना पर विचार किया गया है.इसमें हल्के ब्रह्मोस का निर्माण भी शामिल है.  बता दें कि चेन्नई में चल रही रक्षा प्रदर्शनी में रक्षा शोध संस्थान के चेयरमैन एस. क्रिस्टोफर ने बताया कि संगठन ने करीब 25-30 फीसदी राशि का आवंटन नई परियोजना के विकास के लिए किया है. ब्रह्मोस को भी पनडुब्बी, शिप और विमान से छोड़ने की योजना भी बन रही है. वहीं ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी सुधीर मिश्रा ने बताया कि हमारे पास अगली पीढ़ी के ब्रह्मोस मिसाइल विकसित करने का प्रस्ताव है. इसे ब्रह्मोस एनजी मिसाइल नाम दिया जाएगा. हालाँकि यह मिसाइल वर्तमान ब्रह्मोस की तुलना में हल्की होगी, लेकिन इसकी रेंज समान ही होगी. खास बात यह है कि इसे विभिन्न प्लेटफॉर्म से छोड़ा जा सकेगा.  उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में मौजूद संचार प्रणाली के महानिदेशक जे. मंजुला कहा कि डीआरडीओ लंबी दूरी के राडार पर काम कर रहा है जो 1000 किमी को कवर करेगा.जबकि वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि उस एंटी टैंक मिसाइल पर काम किया जा रहा है, जिसे हेलीकॉप्टर के साथ ही जमीन से भी दागा जा सके.

बता दें कि चेन्नई में चल रही रक्षा प्रदर्शनी में रक्षा शोध संस्थान के चेयरमैन एस. क्रिस्टोफर ने बताया कि संगठन ने करीब 25-30 फीसदी राशि का आवंटन नई परियोजना के विकास के लिए किया है. ब्रह्मोस को भी पनडुब्बी, शिप और विमान से छोड़ने की योजना भी बन रही है. वहीं ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ और एमडी सुधीर मिश्रा ने बताया कि हमारे पास अगली पीढ़ी के ब्रह्मोस मिसाइल विकसित करने का प्रस्ताव है. इसे ब्रह्मोस एनजी मिसाइल नाम दिया जाएगा. हालाँकि यह मिसाइल वर्तमान ब्रह्मोस की तुलना में हल्की होगी, लेकिन इसकी रेंज समान ही होगी. खास बात यह है कि इसे विभिन्न प्लेटफॉर्म से छोड़ा जा सकेगा.

उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में मौजूद संचार प्रणाली के महानिदेशक जे. मंजुला कहा कि डीआरडीओ लंबी दूरी के राडार पर काम कर रहा है जो 1000 किमी को कवर करेगा.जबकि वैज्ञानिक सलाहकार जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि उस एंटी टैंक मिसाइल पर काम किया जा रहा है, जिसे हेलीकॉप्टर के साथ ही जमीन से भी दागा जा सके.

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