2015 की इस खुफिया रिपोर्ट पर कार्रवाई होती तो PNB घोटाला नहीं कर पाता नीरव मोदी

2015 की इस खुफिया रिपोर्ट पर कार्रवाई होती तो PNB घोटाला नहीं कर पाता नीरव मोदी

वित्तीय खुफिया विभाग (एफआईयू) को भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी के फर्जीवाड़े की खबर पंजाब नेशनल बैंक के 20,000 करोड़ रुपये के घोटाले के उजागर होने के पहले से थी. खुफिया विभाग ने तीन साल पहले अपनी एक रिपोर्ट में नीरव मोदी की कंपनियों के फर्जीवाड़े की चेतावनी दी थी. यह रिपोर्ट देश के सभी वित्तीय रेगुलेटरों से खुफिया विभाग ने साझा भी की थी. सूत्रों के मुताबिक यह चेतावनी नीरव मोदी की कंपनी द्वारा एक्सिस बैंक के साथ किए गए कुछ संदिग्ध लेनदेन (STR-Suspecious Transaction Report) पर आधारित थी, हालांकि बैंक के इस अलर्ट के बाद भी वह लगातार नीरव मोदी को कर्ज देता रहा.2015 की इस खुफिया रिपोर्ट पर कार्रवाई होती तो PNB घोटाला नहीं कर पाता नीरव मोदी

मई 2014 में एक्सिस बैंक ने लगभग 500 संदिग्ध लेनदेन की सूचना वित्तीय खुफिया विभाग के साथ साझा किया था. बैंक की इस सूचना के आधार पर खुफिया विभाग ने दिल्ली की एक कंपनी अवोनी ट्रेडर पर शिकंजा कसा था और अब 1.5 लाख करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन की जांच की जा रही है. इस लेनदेन में नीरव मोदी की दो कंपनियां स्टेलर डायमंड और सोलर एक्सपोर्ट्स को भी लिप्त पाया गया था.

मोदी की दोनों कंपनियों ने 24 अप्रैल 2010 में अपना बैंक अकाउंट खुलवाया था और इन खातों में बतौर पार्टनर नीरव दीपक मोदी, नीशल दीपकभाई मोदी थे. इन खातों में बतौर गांरटी हेमंत दहियालाल भट्ट और कविता रविकिरन मानकीकर के नाम दर्ज थे.

एक्सिस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक स्टेलर डायमंड और सोलर एक्सपोर्ट्स द्वारा किए गए लेनदेन सामान्य कारोबारी गतिविधियों से अलग थे. स्टेलर के रिकॉर्ड के मुताबिक बैंक खातों में विदेशों से क्रेडिट के जरिए बड़ी रकम जमा कराई गई थी और फिर कंपनी ने इस रकम को आरटीजीएस के जरिए अन्य बैंकों में अपने खातों में जमा कराया था. बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन के दौरान ही इतनी बड़ी रकम का ट्रांजैक्शन किया जाना और सारा पैसा दूसरे बैंकों के खाते में जमा किए जाने का साफ मतलब है कि कंपनी ने अपने खाते का इस्तेमाल देश में फंड लाने के लिए किया था. 

वहीं रिपोर्ट के मुताबिक सोलर एक्सपोर्ट के बैंक खाते से भी इसी तरह का ट्रांजैक्शन किया गया. सोलर एक्सपोर्ट ने 7-8 मई 2014 के बीच विदेश से 13.82 करोड़ रुपये हांगकांग आधारित इटरनल डायमन्ड्स कॉर्प लिमिटेड और फैंसी क्रिएशन्स कंपनी लिमिटेड से प्राप्त किए. इसके अलावा कंपनी को 1.10 करोड़ रुपये डायमन्ड आर यू से प्राप्त हुए जिसके बाद सोलर एक्सपोर्ट के खाते से कुल 14.92 करोड़ रुपये हांगकांग आधारित ऑराजेम कंपनी लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिए गए.

इन ट्रांजैक्शन्स का दवाला देते हुए एक्सिस बैंक की रिपोर्ट ने दावा किया था कि विदेश में कंपनियों के खातों से बड़ी रकम को पहले देश में लाना और फिर एक दिन के अंदर पूरी रकम को अन्य कंपनियों में ट्रांसफर कर देने के इस मामले को किसी तरह सामान्य नहीं समझा जा सकता है.  

एक्सिस बैंक की इस रिपोर्ट के बाद सवाल उठता है कि आखिर इन संदिग्घ लेनदेन को पकड़ने के बाद भी क्यों एक्सिस बैंक ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों को असुरक्षित कर्ज देना जारी रखा? एक्सिस बैंक की सफाई में कहा गया कि सामान्य कारोबार में बैंक अपने विदेशी शाखाओं के जरिए दूसरे बैंकों द्वारा जारी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग पर लेनदेन करता है. वहीं इस मामले में भी एक बैंक के लेटर ऑफ अंडरटेकिंग को आधार मानते हुए बैंक के नॉस्ट्रो अकाउंट में पैसा डाला गया.

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