डायरी दिनांक 13 अप्रैल 2017: गुरु माँ की डायरी से जानें अपने गुरु को

13 अप्रैल 17…आज बिना किसी पृष्ठभूमि के मैंने सीधे कुर्सी खींची और श्रीगुरुजी के सामने बैठ कर बोली ,” सत्य अमृत ही नहीं , विष भी है–इसको ज़रा detail में समझाएंगे? “

डायरी दिनांक 13 अप्रैल 2017: गुरु माँ की डायरी से जानें अपने गुरु कोश्रीगुरुजी बोले,” यूं तो देखिए मनुष्य को सत्यभाषी ही होना चाहिए और जहां तक हो सके झूठ से दूर ही रहना चाहिए…परंतु कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जहां सत्य और असत्य का उपयोग बहुत सावधानी पूर्वक, अपने विवेक से निर्णय ले ,करना चाहिए।….मतलब…किसी बड़े और पवित्र उद्देश्य की पूर्ति में अगर सत्य बोलने से बाधा आ रही हो जिसमें समिष्टि की हानि हो रही हो, तो ऐसे में असत्य बोलने से पाप नहीं लगता।”

” थोड़ा और स्पष्ट करें,…” मैं बोली।
इन्होंने उदाहरण देते हुए कहा ,” राजनीति में अक्सर ऐसे मौके आते हैं, जब सत्य बोलने पर जनता पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है, ऐसे में झूठ बोलने का पाप इतना बड़ा नहीं होता, जितना सच बोल कर देश का नुकसान करने से होता है….तभी तो कुशल राजनीतिज्ञ कृष्ण ने सत्यवादी युधिष्ठिर से सच जैसा झूठ बुलवाया ….

….और स्पष्ट करूँ तो …आपसी रिश्तों में सत्य बोलना कभी-कभी अमृत की जगह विष बन जाता है” ये मुस्कुरा कर बोले।
इनके परिहास को समझ कर भी ना समझते हुए इस
सत्य – असत्य के विष – अमृत खेल में कुछ और चर्चा भी मैंने की ,वह कल बताती हूँ…..

 
 
 
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com