बड़ी खबर: ट्रेन के सामने कूदा युवक, ऊपर से गुजरीं 24 बोगियां लेकिन उसके बाद जो हुआ वो…..

इंदौर/बुरहानपुर. बुरहानपुर रेलवे स्टेशन के डाउन ट्रैक पर गुरुवार दोपहर 3 बजे तेज गति से आ रही हरिद्वार एक्सप्रेस के सामने एक युवक ने छलांग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की। ट्रेन 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से प्लेटफार्म क्रॉस कर रही थी। उसके 24 डिब्बे युवक के ऊपर से निकल गए लेकिन उसे खरोंच तक नहीं आई। मौके पर मौजूद लोगों की मानो सांसें थम गई थी। ट्रेन का आखिरी डिब्बा प्लेटफार्म से गुजरते ही लोग युवक की तरफ दौड़े और पटरी से उठाकर बेंच पर बैठाया पानी पिलाया। युवक को जिंदा देख लोग हैरान थे। युवक ने कहा मुझे मर जाना था। मैं तो जिंदगी से परेशान हो गया हूं। काम धंधा ढंग का नहीं मिल रहा है। जीआरपी ने युवक को समझाइश दी। युवक ने अपना नाम लक्ष्मण पिता भीमा सिरसाट (39) निवासी पाचोरा जलगांव महाराष्ट्र बताया है।
बड़ी खबर: ट्रेन के सामने कूदा युवक, ऊपर से गुजरीं 24 बोगियां लेकिन उसके बाद जो हुआ वो.....
 
प्रत्यक्षदर्शी प्लेटफॉर्म पर ले गए
जलगांव के पास पाचोरा रेलवे स्टेशन पर पानी की बोतल कमीशन पर बेचता हूं। ढंग का काम धंधा नहीं मिलने से परेशान हो गया था। मां-बाप भी नहीं है। दो बहनें उषा व आशा हैं। दोनों की शादी हो गई। उनके पास ही रहता हूं, मुझे परेशान देख बड़ी बहन आशा ने मंगलवार को उसकी सहेली के यहां इटारसी घूमने के लिए भेज दिया लेकिन मुझे वहां पर अच्छा नहीं लगा। आज (गुरुवार) 10 बजे कामायनी एक्सप्रेस से पाचोरा के लिए रवाना हुआ। ट्रेन में ही आत्महत्या करने का मन बना लिया था। पहले तो चलती हुई कामायनी से ही कूदकर जान देने की सोची लेकिन बुरहानपुर प्लेटफार्म पर गाड़ी रुकते ही मैं यहां पर उतर गया। आधा घंटे तक प्लेटफार्म पर घूमने के बाद भुसावल से खंडवा की ओर तेज गति से जा रही ट्रेन दिखाई दी। सोचा था एक ही झटके में जिंदगी खत्म हो जाएगी। लेकिन मौत मांगने के बाद भी नहीं मिली तो मैंने जिंदगी को बचाने का प्रयास करते हुए पटरी के बीच सेंटर पर हाथ-पैरों को सीधा कर उल्टा पड़ा रहा। मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था कि मैं बच गया हूं। एक के बाद एक बोगी ऊपर से गुजर गई। जब भगवान ही नहीं चाहता की मेरी मौत हो तो फिर मैं कैसे मरता इसलिए मैंने खुद को बचाया। अब कभी भी ऐसा काम नहीं करुंगा। 

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जीआरपी प्रधानआरक्षक ने कहा-सोचा इतने टुकड़े होंगे कि पोटली बनानी पड़ेगी
मैंने देखा कि युवक ट्रेन के आगे ऐसे कूद गया जैसे स्वीमिंग पूल में छलांग लगा रहा हो। दोनों हाथ फैलाए। एक पल के लिए तो आंखें फेर ली। मन में सोचा इतने टुकड़े होंगे कि अब इसकी पोटली बनानी पड़ेगी। ट्रेन के गुजर जाने पर देखा तो आंखों पर यकीन नहीं हुआ। युवक पटरियों के बीच लेटा था। सलामत। उसे खरोंच तक नहीं आई।
 
 
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