95 वर्षीय उम्मीदवार की कहानी में ट्विस्ट

क्या ख़बरों में आता है और कैसे सच्चाई थोड़ी अलग होती है, आइए ऐसे ही एक किस्से की ओर चलते हैं.

95 वर्षीय उम्मीदवार की कहानी में ट्विस्ट

95 वर्षीय जल देवी के बारे में ख़बर आई कि वो शायद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सबसे वृद्ध उम्मीदवार हैं.

वे रहती हैं आगरा से करीब दो घंटे की दूरी पर खैरागढ़ में.

उनसे मिलने की आस में हम दिल्ली से सुबह जल्दी निकले और पहले ही फ़ोन कर उनके बेटे रामनाथ से उनकी मां की उम्र की पुष्टि कर ली थी. फ़ोन कॉल के दौरान ही चुनाव प्रचार का शोर कानों में पहुंच रहा था.

खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में जगनेर एक छोटा सा कस्बा है.

विधायक कहीं न बदल दें पाला, सरकार बनाने के लिए चिंतित शशिकला ने कांग्रेस से साधा संपर्क

संकरी गलियों, उन पर पसरे जानवरों, और जहाँ-तहाँ बीच रास्ते मुँह चिढ़ाती गाड़ियों से निपटने के बाद हमारी मुलाकात रामनाथ से हुई.

पता चला मां करीब 15 किलोमीटर दूर कठूमरी गांव के अपने घर में हैं.

ये तो पता था कि रामनाथ भी इसी चुनाव में अपनी मां की तरह ही निर्दलीय उम्मीदवार हैं, लेकिन ये पता नहीं था कि 95 वर्षीय मां किन मुद्दों पर वोट मांग रही हैं.

बेटे के समर्थक तो उनके चुनाव चिह्न का प्रचार करते दिख रहे थे लेकिन मां के चुनाव प्रचार का कहीं अता-पता नहीं था.

रामनाथ तेज़ी से सड़क पर गाड़ी दौड़ा रहे थे जबकि उनके साथी कर्नल संजय माइक पर ज़ोर शोर से चुनाव चिह्न का नाम लेकर लोगों को वोट उनके पक्ष में डालने की अपील कर रहे थे.

कानपुर रेल हादसे और 152 मौत का जिम्मेदार, शम्सुल हुदा नेपाल से हुआ गिरफ्तार

समर्थकों में किसी ने सलाह दी, मां को जगनेर ले चलते हैं जहां वो भीड़ को संबोधित करें.

मैंने पूछा, “इस उम्र में उन्हें ले जाना सही होगा?”

जवाब मिला, “क्यों नहीं?”

मां को घर से बाहर लाया गया. सफ़ेद साड़ी जिस पर फूल गढ़े हुए थे. हाथ में लाठी. काले रिम का चश्मा. बिना किसी मदद के वो धीरे धीरे गाड़ी तक पहुंची. उनकी गाड़ी सरपट दौड़ी. हम पीछे थे.

उनकी गाड़ी में सब इंतज़ाम थे – फ़्रिज, शराब, पानी, सब.

हम जगनेर पहुंचे. वहां जगनेर ब्लॉक में एक पेड़ के नीचे कुर्सी पर अम्मा बैठीं. समर्थक चारों ओर नारे लगा रहे थे. मैंने कर्नल संजय से बात शुरू कर दी थी.

मां और बेटे आखिर एक ही सीट से चुनाव क्यों लड़ रहे हैं? क्या ऐसा करके वो एक दूसरे का वोट नहीं काट रहे हैं? आखिर मां का चुनाव चिह्न है क्या और उसका प्रचार क्यों नहीं हो रहा है?

कर्नल साहब धीरे से बोले, “हम आपको सब कुछ नहीं बता सकते.”

हम उन्हें धीरे से किनारे ले गए तो पता चला कि रामनाथ पांच साल पहले किसी मामले में गिरफ़्तार हुए थे.

उन्हें डर था कि उनकी गिरफ़्तारी हो सकती है इसलिए मां को चुनाव में खड़ा किया गया था.

जल देवी ने दो साल पहले पंचायत का चुनाव लड़ा था जिसमें वो जीती थीं.

कर्नल संजय ने हमें अम्मा की विशेषताएं गिनानी शुरू की, उधर रामनाथ चुपचाप हमारी बात सुन रहे थे.

कर्नल संजय ने कहा, “वो बहुत दबंग हैं. गांव में सास-बहू का कहीं भी झगड़ा हो तो वही सुलझाती हैं. पूरा घर उनके इशारे पर नाचता है. उन्हें चुनाव में खड़ा कर हम उन्हीं ही जिताने के बारे में सोच रहे हैं, हालांकि ये पता नहीं कि क्या वो कार्यकाल पूरा पाएंगी या नहीं.”

उनके मुताबिक गांव में दबंगई और पंचायत सदस्य या विधायक बनने में कोई फ़र्क नहीं.

जल देवी बहुत प्यार से मिलती हैं. उनका ताल्लुक राजस्थान के धौलपुर से है. उनकी याददाश्त कमज़ोर हो चली है और बहुत पुरानी बातें याद नहीं.

वो प्यार से सभी को लाठी के ज़ोर से ठीक करने की बात करती हैं.

उन्हें चुनाव की पेचीदगियों के बारे में कितना अंदाज़ा है ये साफ़ नहीं लेकिन इतनी उम्र में चुनाव लड़ने पर उन्होंने ध्यान ज़रूर खींचा है.

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com