Meerut: Union Home Minister Rajnath Singh and UP Chief Minister Yogi Adityanath being welcomed by UP BJP President Mahendra Nath Pandey as they attend the State BJP Working Committee meeting in Meerut on Saturday, Aug 11, 2018. (PTI Photo) (PTI8_11_2018_000212B)

BJP: लोकसभा चुनाव की रणनीति और उपचुनाव में मिली हार पर भाजपा कार्य समिति ने किया चिंतन और मंथन!

मेरठ: 2019 लोकसभा चुनाव से लेकर उपी में हुए कुछ उपचुाव में मिली हार के बाद भाजपा प्रदेश कार्य समिति मंथन और चिंतन में जुटी है। मेरठ में दो दिनों की कार्यसमिति की बैठक में पार्टी से जुड़े नेता आने वाले चुनाव की रणनीति और उपचुनाव में मिली हार की वजह तलाश रहे हैं।

11 अगस्त से शुरू हुई इस बैठक में मेरठ को बैठक के लिए चूने जाने के पीछे मेरठ का गौरवशील इतिहास वजह से बतायी गयी। पहले सत्र में खुलकर मंच से संबोधन हुआ। लेकिन दूसरे सत्र में गोपनीय मंत्र दिए गए। इस सत्र में पार्टी के उन खास एजेंडों एवं चिंताओं पर बात की गई जो खास तौर पर चुनाव 2019 के लिए चिह्नित की गई हैं। दरअसल इस समय भाजपा की सबसे बड़ी चिंता महागठबंधन है।

इस बैठक में भी यह मुद्दा हावी रहा। दूसरे सत्र की गहन समीक्षा में सभी की तैयारियों में अलग-अलग क्षेत्रों के पदाधिकारियों से बात की गई। जोर चूंकि यूपी पर ज्यादा है तो ऐसे में पश्चिम क्षेत्र, अवध और ब्रज के साथ गोरखपुर क्षेत्र के पदाधिकारियों को लक्ष्य दिए गए। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से ठीक पहले शनिवार को एक होटल में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई।

प्रदेश अध्यक्ष डॉ महेंद्र नाथ पांडे की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रदेश महामंत्री सुनील बंसल ने कार्यसमिति की बैठक में रखे जाने वाले प्रस्तावों को प्रस्तुत किया। हर बिंदु पर उन्होंने कार्यकारिणी के पदाधिकारियों और सदस्यों से रायशुमारी की। कार्यकारिणी पदाधिकारियों ने भी सुझाव दिए। प्रदेश अध्यक्ष ने अपने भाषण में चौधरी चरण सिंह का जिक्र करते हुए तारीफ की।

उन्होंने कहा कि किसानों.गरीबों के लिए जितना काम सरदार पटेल और चौधरी चरण सिंह ने कियाए उतना कोई भी सरकार नहीं कर पाईं। गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर के चुनाव की हार के बाद अब भाजपा फूंक- फूंक कर कदम उठा रही है। महागठबंधन से बड़ा खतरा है। यदि यह महागठबंधन हुआ तो इसमें शामिल कांग्रेस का पारंपरिक वोट रहेगा। इसके अलावा बसपा के कैडर दलित वोट को काटना आसान नहीं।

दलित राष्ट्रपति कार्ड खेलने के बाद से लेकर एससी एसटी एक्ट में संशोधन विधेयक तक भाजपा यह दांव खेल रहे हैं। लेकिन अभी तक यह भरोसा नहीं हो पाया है कि दलित बड़ी संख्या में भाजपा के साथ खड़े हो जाएंगे। सपा का यादवों व मुस्लिमों पर तगड़ा असर है तो रालोद का जाटों पर। ऐसे में भाजपा के लिए यह चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं। बस इसी परीक्षा से पार पाने का मंथन इस बैठक में हुआ।

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