CII के अध्यक्ष उदय कोटक ने सरकार को दूसरे आर्थिक पैकेज लाने की दी सलाह, अर्थव्यवस्था को लेकर कही यह बात

नई दिल्ली. कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी और उद्योग चैंबर CII के अध्यक्ष उदय कोटक ने CNBC TV18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार को राजकोषीय समर्थन बढ़ाना चाहिए साथ ही गरीबों परिवारों को नकद हस्तांतरण का समर्थन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अधिक पूंजी लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए. आरबीआई ने मौद्रिक प्रयास तेज कर दिए हैं और अब सरकार को कोविड 2.0 के लिए कदम बढ़ाने की जरूरत है.

दूसरे राहत पैकेज के ऐलान का दिया सुझाव

उन्होंने कहा कि कोविड 19 की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ा है. निम्न वर्ग और छोटे एवं मध्यम कारोबारियों पर कोरोना की दूसरी लहर की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. इसे देखते हुए कोटक ने एक और राहत पैकेज (Stimulus Package) पेश करने की सिफारिश की है. इसके साथ कोटक ने कहा कि यदि वैक्सीनेशन में तेजी आती है तो हम सितंबर अक्टूबर तक आर्थिक स्थिति सामान्य देख सकते हैं.

बढ़ा सकते हैं क्रेडिट गारंटी योजना की राशि

कोटक ने बुधवार को कहा कि सरकार छोटे कारोबारियों को बिना गारंटी के दिए जाने वाले कर्ज को क्रेडिट गारंटी योजना (Credit guarantee scheme) के तहत 3 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये करने पर विचार कर सकती है. पिछले साल केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ECLGS) की घोषणा की थी.

कोटक ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर का काफी प्रतिकूल असर पड़ा है और इसने अप्रैल और मई के दौरान विशेष कर पूरे देश को हिला कर रख दिया.

जीडीपी को लेकर कही ये बात

उन्होंने दूसरी लहर के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) पर प्रभाव को लेकर कहा, ‘शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि लहर का अर्थव्यवस्था और वृद्धि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है. लेकिन यह कहना सही होगा कि इसके कम होने की आशंका है. यह 10% से कम रह सकती है. हमें अभी स्थिति पर नजर रखनी होगी.’

सरकार, नियामकों, न्यायपालिका सभी को कोविड के बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए अपने सोचने के तरीके को बदलना होगा. कोटक ने कहा कि मुद्रास्फीति एक ऐसी चीज है जिसे हमें ध्यान में रखने की जरूरत है, 2022 और 2023 को चुनौतियों के वर्षों के रूप में देखें.

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