पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा उप चुनाव सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, क्योंकि इसके नतीजे का सीधा असर पड़ेगा। आने वाले चार नगर निगमों के चुनाव पर पड़ेगा। इसलिए कांग्रेस गुरदासपुर में पूरी ताकत झोंक रही है। सरकार बने हुए करीब छह महीने हो गए हैं, लेकिन अब तक विकास कार्य कहीं भी शुरू नहीं हुए हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकार अपने चुनावी वादे भी अब तक पूरे करने में असमर्थ रही है।अभी-अभी: कांग्रेस ने निकाला ये बड़ा फॉर्मूला, मुख्यमंत्री वीरभद्र ही होंगे कांग्रेस का चुनावी चेहरा
यही वजह है कि सरकार निगम चुनाव कराने की स्थिति में नहीं है। लेकिन अगर कांग्रेस गुरदासपुर चुनाव हार जाती है तो हालात और बुरे हो जाएंगे। इसे समझते हुए कांग्रेस ने इसकी तैयारी पहले से ही शुरू कर दी थी। गुरदासपुर लोकसभा हलके में पड़ने वाली चीनी मिलों का बकाया किसानों को दे दिया गया। बाकी पूरे पंजाब में कहीं भी गन्ना किसानों को बकाया जारी नहीं किया गया है। गुरदासपुर में सियासी समीकरणों को देखते हुए कैप्टन ने किसी स्थानीय नेता को टिकट नहीं दिया।
बल्कि, हैवीवेट कैंडिडेट सुनील जाखड़ को मैदान में उतारा। ताकि भितरघात का खतरा न रहे। गुरदासपुर में कांग्रेस के साथ विधायकों में से छह कैप्टन समर्थक हैं। जिनमें दो तो कैबिनेट मंत्री हैं। कैप्टन की प्रतिष्ठा के लिए वे पूरा जोर लगाएंगे ही। इसकेअलावा सीएम ने अपने खास रणनीतिकार और सियासी सचिव कैप्टन संदीप संधू को जाखड़ के चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी। ताकि विधायकों और प्रदेश के नेताओं के साथ तालमेल में कोई गड़बड़ न हो। क्योंकि कैप्टन संधू पहले से यह काम कर रहे हैं।