महर्षि दयानंद सरस्वती का क्या है योगदान, एक नजर

महर्षि दयानंद सरस्वती के बारे में आप सभी ने पढ़ा होगा। भारत के महान व्यक्तित्व के बारे में तो जरूर पढ़ा होगा। उन्हीं में एक पाठ था महर्षि दयानंद सरस्वती का। हम सभी को महर्षि दयानंद सरस्वती के बारे में जानना बहुत जरूरी है। आर्य समाज के संस्थापक और वेदोधारक महर्षि दयानंद सरस्वती वेदों पर अटूट विश्वास था उनका। इनके अनुयाई इन्हें ईश्वर की उपाधि दिया करते थे और इनकी वाणी को ईश्वरीय वाणी मानते थे।

स्वामी दयानंद सरस्वती वेदों के ज्ञाता थे उन्हें ज्ञान विज्ञान धर्म अध्यात्म दर्शन और मानव के मूल्यों का एक अटूट ज्ञान प्राप्त था। स्वामी दयानंद सरस्वती हमेशा ही सत्य की राह पर चलते थे। यही कारण है कि आज हम सभी स्वामी दयानंद सरस्वती को याद करते हैं।
स्वामी दयानंद सरस्वती राष्ट्रवाद के उन्नायक थे। उन्होंने दलितों पिछड़ा वर्ग और अनार्य को ज्ञान के रास्ते पर चलाने के लिए कई कठिनाइयों से गुजरे और कई आंदोलन भी किए। स्वामी दयानंद सरस्वती हिंदी भाषा के संस्कृत देवनागरी को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की पहल भी इन्होंने ही की जिससे इनको संस्थापक भी कहा जाता है।
स्वामी दयानंद सरस्वती ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर शिक्षा प्राप्त कराने के लिए उन्होंने वेदों को अपना आधार बनाया और इन्होंने सबसे पहले महिला और पुरुष को शिक्षा बनाने की पहल की। यही नहीं स्वामी दयानंद सरस्वती ने विधवाओं के लिए भी कई प्रयास किए।
सरस्वती ने विधवा को जीने का अधिकार और सम्मान के साथ समाज में जीने के लिए और दुर्दशा से बाहर उबरने के लिए इन्होंने सख्त कदम उठाए थे।
स्वामी दयानंद सरस्वती ने ही पुनर्विवाह की स्थापना की थी। विधवा को सत सम्मान जीने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने इनका पुनः विवाह कराने की पहल की जिससे कि यह समाज में अपना सिर उठाकर जी सकें।

स्वामी दयानंद सरस्वती ने अंग्रेजी भाषाओं का प्रयोग करने वालों पर अपनी भाषा का प्रयोग करने पर जोर देते थे और अंग्रेजी भाषा से उबरने के लिए वैदिक गुरुकुल शिक्षा पद्धति को स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे। स्वामी दयानंद सरस्वती हम सभी के लिए प्रेरणा है और इनका इतिहास सदैव अमर रहेगा।

महिलाओं के लिए उनके सम्मान के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने हमेशा कदम से कदम मिलाकर चले और पथ प्रदर्शन करते रहे। महिलाओं के लिए इन्होंने उनके उत्थान के लिए अहम कदम उठाएं। जिसका नतीजा आज हम सभी देखते हैं कि शिक्षा का अधिकार हम सबको है स्वास्थ्य का है और रोजगार का भी है।

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