आषाढ़ मास में आएगी देवशयनी एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

हिंदू वर्ष का चौथा बेहद अहम महीना आषाढ़ मास शुरू हो चुका है। इस महीने में कई अहम व्रत त्‍योहार आएंगे। इसी माह में देवशयनी एकादशी का अहम व्रत भी आएगा, जिसकी हिंदू धर्म में बहुत अहमियत बताई गई है। मान्‍यता है कि इस माह में श्री हरि विष्‍णु चार मास के लिए योग निद्रा में लीन हो जाते हैं। इसलिए इस तिथि से सभी मांगलिक और शुभ कार्य अगले चार मास, यानी देवउठानी एकादशी तक रुक जाते हैं। आज के दिन कमल के फूलों से भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऐसा करने से तीनों लोको के समस्‍त देवी-देवताओं की एक साथ पूजा हो जाती है।

नई शय्या पर सुलाए जाते हैं भगवान और पहनाए जाते हैं नए वस्‍त्र

हिंदू वर्ष के हर माह में दो पक्ष होते हैं और दोनों पक्ष में एकादशी तिथि आती है। आषाढ़ मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह एकादशी तिथि 20 जुलाई को मंगलवार के दिन पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्‍णु सृष्‍टि के संचालन का अपना सारा कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं। आज के दिन भगवान विष्‍णु को नए वस्‍त्र पहनाए जाते हैं और उन्‍हें नए बिछौने पर सुलाया जाता है। ऐसा करने से भक्‍तों को विष्‍णु जी की विशेष कृपा प्राप्‍त होती है।

दशमी के रात्रि भोजन में नहीं करते नमक का सेवन

देवशयनी एकादशी का विधान एक रात पूर्व यानी दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है। देवशयनी एकादशी का व्रत करने वाले भक्‍त इस दिन रात को सात्‍विक भोजन करते हैं। कुछ लोग दशमी के रात्रि भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करते हैं। हरिशयनी एकादशी की रात से भगवान विष्‍णु का निद्राकाल शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन विधि-विधान और सच्‍चे मन से उनकी पूजा करने से प्रभु का आशीर्वाद मिलता है और कष्‍टों का निवारण होता है।

देवशयनी एकादशी तिथि

एकादशी तिथि व्रत : 20 जुलाई, मंगलवार

एकादशी तिथि शुरू : 19 जुलाई, सोमवार रात 9.59 बजे से

एकादशी तिथि समाप्‍त : 20 जुलाई शाम 7.17 बजे

एकादशी व्रत पारण समय और तिथि : 21 जुलाई, बुधवार सुबह 5.17 से 9.15 बजे के बीच

पूजा का शुभ मुहूर्त

इस दिन अमृत काल और रवि योग का शुभ संयोग मिल रहा है। इस दौरान पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्‍ति होती है। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मूहूर्त में भी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इनका समय

ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4.20 बजे से 5.08 बजे तक

रवि योग : सुबह 5.19 बजे से 8.33 बजे तक

अमृत काल : दिन में 10.58 बजे से दोपहर 2.26 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12.06 बजे से 12.59 बजे तक

अपराजिता श्रीवास्‍तव 

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