क्या आपको पता है रक्षाबंधन की धार्मिक कथा, जानिए

       सावन के अंतिम समय में रक्षाबंधन का त्योहार पड़ता है। पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले इस त्योहार में बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षा धागा बांधती हैं और उनकी रक्षा की कामना करती हैं। इस दिन भाई अपनी बहनों को उपहार भी देते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि रक्षाबंधन के पीछे पौराणिक कथा क्या है। जैसा की हर हिंदू त्योहार के पीछे कोई न कोई कथा होती है उसी तरह रक्षाबंधन त्योहार के पीछे भी कथा बताई जाती है। तो आइए जानते हैं कि रक्षाबंधन के त्योहार के पीछे कौन सी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। 

राजा बलि से जुड़ी है कथा
आज पूरे देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। बताया जाता है कि सबसे पहले लक्ष्मी माता ने अपने भाई को रक्षासूत्र बांधा था। पौराणिक कथा है कि राजा बलि ने जब अश्वमेध यज्ञ करवाया तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। उस दौरान भगवान ने राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा ने धरती देने के लिए हां बोल दिया तो भगवान विष्णु ने अपने तीन पग में पूरी धरती को ही नाप लिया। तब भगवान ने राजा बलि के लिए सिर्फ पाताल लोक दिया। राजा बलि ने भगवान विष्णु से वर मांगा कि जब भी वह देखें तो सिर्फ भगवान को ही देखें। भगवान ने यह वर दे दो दिया लेकिन इसके साथ ही वह राजा बलि के साथ ही पाताल लोक में ही वास करने लगे। ऐसे में माता लक्ष्मी परेशान हो उठी।

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नारद जी ने दी सलाह
जब राजा बलि के वरदान मांगने पर भगवान विष्णु पाताल लोक में ही राजा  के साथ रहने लगे तो लक्ष्मी मां काफी परेशान हो गई। उस समय नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को सुझाव दिया कि वह विष्णु को वापस लाने के लिए राजा बलि को अपना भाई बना लें और भाई बनाने के बाद राजा से विष्णु को मांग ले। तब लक्ष्मी जी ने वेष बदलकर राजा बलि को रोते हुए अपना दुखड़ा सुनाया और कोई भाई न होने की बात कहकर राजा बलि को अपना भाई बना लिया। तब लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बांधी और विष्णु को मांगा। इस तरह से राजा बलि ने बहन की बात को पूरा किया और विष्णु को उन्हें सौंपा। इससे भी रक्षाबंधन का पर्व मनाए जाने की बात सामने आती है।

GB Singh
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