सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक पिछले कुछ महीनों से लगातार डेटा लीक को लेकर सवालों के घेरे में है. पहले कैंब्रिज अनालिटिका डेटा स्कैंडल और अब रिपोर्ट आई है कि मोबाइल कंपनियों के साथ भी फेसबुक यूजर डेटा शेयर कर रहा है जिनमें चीनीं स्मार्टफोन मेकर भी शामिल हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को फेसबुक ने कहा कंपनी ने चार चीनी कंपनियों के साथ पार्टनर्शिप की है जिसमें डेटा शेयर भी होता है. इनमें हुआवे भी शामिल है जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है. हुआवे पर पहले से ही अमेरिका में जांच चल रही है और इसके मोबाइल फोन वहां बैन भी किया गया है. फेसबुक ने कहा है कि हुआवे, लेनोवो ग्रुप, ओपो और टीसीएल ग्रुप्स उन दुनिया भर की 60 कंपनियों में से हैं जो कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत फेसबुक का कुछ यूजर डेटा ऐक्सेस करती हैं ताकि वो अपने यूजर्स के लिए फेसबुक जैसा एक्सपीरिएंस दे सकें. न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूजर्स के फ्रेंड्स का डेटा बिना उनकी सहमती के ही यूज किया जा सकता था. हालांकि फेसबुक ने इसे खारिज किया और कहा कि डेटा ऐक्सेस इसलिए था, क्योंकि इनके यूजर्स को मोबाइल डिवाइस के अकाउंट फीचर को ऐक्सेस करना था. खबर लिखे जाने तक किसी भी चीनी कंपनियों फेसबुक के साथ डेटा शेयरिंग के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है. अमेरिकी इंटेलिजेंस कमीट के टॉप डेमोक्रैट वॉर्नर ने कहा है कि मैं यह जानना चाहता हूं कि कैसे फेसबुक यह सुनिश्चित करती है कि यूजर्स का डेटा चीनी सर्वर पर स्टोर न हों. अमेरिका में एक तरह से इसे लेकर हलचल मची है और वहां की जांच एजेंसियां भी इसके बाद हरकत में हैं. मुमकिन है जल्द ही इस मामले पर फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग का कोई बयान आएगा.

FB ने माना- चीनी स्मार्टफोन कंपनियों को दिया यूजर्स का डेटा

सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक पिछले कुछ महीनों से लगातार डेटा लीक को लेकर सवालों के घेरे में है. पहले कैंब्रिज अनालिटिका डेटा स्कैंडल और अब रिपोर्ट आई है कि मोबाइल कंपनियों के साथ भी फेसबुक यूजर डेटा शेयर कर रहा है जिनमें चीनीं स्मार्टफोन मेकर भी शामिल हैं.सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक पिछले कुछ महीनों से लगातार डेटा लीक को लेकर सवालों के घेरे में है. पहले कैंब्रिज अनालिटिका डेटा स्कैंडल और अब रिपोर्ट आई है कि मोबाइल कंपनियों के साथ भी फेसबुक यूजर डेटा शेयर कर रहा है जिनमें चीनीं स्मार्टफोन मेकर भी शामिल हैं.  रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को फेसबुक ने कहा कंपनी ने चार चीनी कंपनियों के साथ पार्टनर्शिप की है जिसमें डेटा शेयर भी होता है. इनमें हुआवे भी शामिल है जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है.  हुआवे पर पहले से ही अमेरिका में जांच चल रही है और इसके मोबाइल फोन वहां बैन भी किया गया है.  फेसबुक ने कहा है कि हुआवे, लेनोवो ग्रुप, ओपो और टीसीएल ग्रुप्स उन दुनिया भर की 60 कंपनियों में से हैं जो कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत फेसबुक का कुछ यूजर डेटा ऐक्सेस करती हैं ताकि वो अपने यूजर्स के लिए फेसबुक जैसा एक्सपीरिएंस दे सकें.  न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूजर्स के फ्रेंड्स का डेटा बिना उनकी सहमती के ही यूज किया जा सकता था. हालांकि फेसबुक ने इसे खारिज किया और कहा कि डेटा ऐक्सेस इसलिए था, क्योंकि इनके यूजर्स को मोबाइल डिवाइस के अकाउंट फीचर को ऐक्सेस करना था.  खबर लिखे जाने तक किसी भी चीनी कंपनियों फेसबुक के साथ डेटा शेयरिंग के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है.     अमेरिकी इंटेलिजेंस कमीट के टॉप डेमोक्रैट वॉर्नर ने कहा है कि मैं यह जानना चाहता हूं कि कैसे फेसबुक यह सुनिश्चित करती है कि यूजर्स का डेटा चीनी सर्वर पर स्टोर न हों.  अमेरिका में एक तरह से इसे लेकर हलचल मची है और वहां की जांच एजेंसियां भी इसके बाद हरकत में हैं. मुमकिन है जल्द ही इस मामले पर फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग का कोई बयान आएगा.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को फेसबुक ने कहा कंपनी ने चार चीनी कंपनियों के साथ पार्टनर्शिप की है जिसमें डेटा शेयर भी होता है. इनमें हुआवे भी शामिल है जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है.

हुआवे पर पहले से ही अमेरिका में जांच चल रही है और इसके मोबाइल फोन वहां बैन भी किया गया है.

फेसबुक ने कहा है कि हुआवे, लेनोवो ग्रुप, ओपो और टीसीएल ग्रुप्स उन दुनिया भर की 60 कंपनियों में से हैं जो कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत फेसबुक का कुछ यूजर डेटा ऐक्सेस करती हैं ताकि वो अपने यूजर्स के लिए फेसबुक जैसा एक्सपीरिएंस दे सकें.

न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यूजर्स के फ्रेंड्स का डेटा बिना उनकी सहमती के ही यूज किया जा सकता था. हालांकि फेसबुक ने इसे खारिज किया और कहा कि डेटा ऐक्सेस इसलिए था, क्योंकि इनके यूजर्स को मोबाइल डिवाइस के अकाउंट फीचर को ऐक्सेस करना था.

खबर लिखे जाने तक किसी भी चीनी कंपनियों फेसबुक के साथ डेटा शेयरिंग के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है.   

अमेरिकी इंटेलिजेंस कमीट के टॉप डेमोक्रैट वॉर्नर ने कहा है कि मैं यह जानना चाहता हूं कि कैसे फेसबुक यह सुनिश्चित करती है कि यूजर्स का डेटा चीनी सर्वर पर स्टोर न हों.

अमेरिका में एक तरह से इसे लेकर हलचल मची है और वहां की जांच एजेंसियां भी इसके बाद हरकत में हैं. मुमकिन है जल्द ही इस मामले पर फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग का कोई बयान आएगा.

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