इन दिनों टोक्यो ओलंपिक का खुमार देश वासियों के सिर पर चढ़ कर बोल रहा है। बता दें कि इस बार ओलंपिक में भारत ने 7 पदक जीते हैं। इनमें से दो सिल्वर, एक गोल्ड व चार ब्राॅन्ज मेडल हैं। इस बार ओलंपिक साल भर की देरी से हुआ था। वहीं अब टोक्यो में पैराओलंपिक जारी है। इसमें भी भारतीय खिलाड़ी अपना व देश का नाम रोशन करने से नहीं चूक रहे हैं। हालांकि इन सबके बीच एक अजीब बात ये है कि किसी भी भारतीय शूटर ने टोक्यो ओलंपिक में एक भी मेडल नहीं जीता। मालूम हो कि सरकार ने शूटरों को अच्छी ट्रेनिंग देने के लिए 100 करोड़ रुपये तक की धनराशि खर्च की थी।
पैराओलंपिक में 2 गोल्ड सहित 8 मेडल
बता दें कि कोरोना की वजह से इस बार ओलंपिक साल भर देरी से आयोजित हुआ है। वहीं भारतीय खिलाड़ियों का इस बार काफी बेहतरीन प्रदर्शन रहा है। मालूम हो कि टोक्यो ओलंपिक में 121 भारतीय खिलाड़ियों ने भाग लिया था। उनमें से 7 खिलाड़ी ही देश में पदक ला पाए। इसके अलावा पैराओलंपिक में भारत की ओर से 54 खिलाड़ियों को भेजा गया है जिनमें से अब तक 8 पदक ला भी चुके हैं। बता दें कि ओलंपिक के 120 साल के इतिहास में पहली बार भारतीयों ने ओलंपिक में 7 पदक जीते थे । वहीं पैराओलंपिक में अब तक दो गोल्ड सहित आठ मेडल देश में आ चुके हैं।
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शूटिंग में खर्च हुए 100 करोड़ रुपये डूबे
इन सबके बीच एक बड़ी खबर निकल के सामने आ रही है जिसमे बताया जा रहा की भारत सरकार ने टोक्यो ओलंपिक में तैयारियों के लिए 32 शूटरों पर 100 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च करी थी। इन सब के बावजूद एक भी पदक भारत को इन खेलो में नहीं मिला था। बता दे ये अकड़ा तब निकल कर सामने आया था जब पैरा ओलंपिक खेलों में अवनि लखेरा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। बता दे उन्होंने पैरा ओलंपिक की तैयारियां घर पर ही की थी। 2016 से अब तक 32 निशानेबाजों पर सरकार ने 44.41 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वहीं 2019 से एसीटीसी के भी इसमें 55 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सबसे ज्यादा बजट शूटिंग के खिलाड़ियों का ही था जिनसे देश को निराशा हाथ लगी।
ऋषभ वर्मा