international forests day: 51 फीसदी घट गए पेड़, विकास की भेंट चढ़ गए जंगल

international forests day: 51 फीसदी घट गए पेड़, विकास की भेंट चढ़ गए जंगल

दुनियाभर में कंकरीट के जंगल तेजी से बढ़ रहे हैं। तेजी से बढ़ते शहरों की वजह से जंगल काटे जा रहे हैं। मौजूदा आंकड़ों की अगर बात करें तो देश के कई बड़े शहरों में हरियाली 50 फीसदी से ज्यादा कम हुई है। जंगल सिर्फ भारत में ही कम नहीं हो रहे हैं बल्कि दुनियाभर में जंगल के खत्म होने की रफ्तार तेज हुई है और इसका सबसे बड़ा कारण है औद्योगिक और शहरी विकास। international forests day: 51 फीसदी घट गए पेड़, विकास की भेंट चढ़ गए जंगल21 मार्च को पूरी दुनिया इंटरनेशनल फॉरेस्ट डे मना रही है। देश से लेकर विदेश तक जंगलों की स्थिति पर बात की जा रही है। जंगल लगाए जाने को लेकर दुनियाभर में एक बार फिर से चर्चा की जा रही है। लेकिन फिर भी जंगल तेजी से काटे जा रहे हैं।  

दुनिया को नई दिशा और दशा देने में जुटे संयुक्त राष्ट्र ने इस साल की थीम “जंगल और हरे भरे शहर” रखा है।  दुनिया में बढ़ते शहरीकरण की वजह से 51 फीसदी पेड़ घटे हैं जबकि  2016 के आंकड़ें बताते हैं कि  7.3 करोड़ एकड़ पेड़ धरती से खत्म हुए हैं। यह आंकड़ा 2015 से 50 फीसदी ज्यादा है। 

जंगल न केवल ऑक्सीजन के सबसे बड़े स्नोत होते हैं साथ ही पृथ्वी के तापमान को भी नियंत्रित करते हैं। वन केवल बादलों को ही आकर्षित नहीं करते हैं। बल्कि भूमि की नमी को बनाए रखने में मदद करता है। आंकड़ों के मुताबिक विश्व में धरती का एक तिहाई हिस्सा वनों से आच्छादित है, किंतु भारत में यह कुल भूमि का 22 प्रतिशत से भी कम है। भारत में तो प्रति व्यक्ति मात्र 0.1 हेक्टेयर ही वन है, जबकि विश्व का औसत 1.0 हेक्टेयर प्रति व्यक्ति है।

दुनिया में 51 फीसदी घटे पेड़

आंकड़ों पर नजर डालें तो अगर शहर के 20 से 30 फीसदी हिस्से पेड़ हैं तो एसी का खर्च 30 फीसदी तक कम हो जाता है वहीं 24 फीसदी पॉल्यूशन कम हो जाता है। जबकि शोर-शराबे को कम करने में भी पेड़ों का अहम योगदान होता है और यह 40 फीसदी तक शोर को कम करता है। जबकि धूल को पेड़ सोख लेते हैं और 75 फीसदी तक हवा में धूल का कण भी पड़ों की वजह से कम हो जाता है। 

एक ओर जहां आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री,  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ट्वीट कर शुभकामनाएं दे रहे हैं वहीं आंकड़े उन राज्यों की पोल खोल रहे हैं। अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो आंकड़े बताते हैं कि 20 साल पहले जहां वन क्षेत्र 66 फीसदी था जो अब घटकर 22 फीसदी रह गया है। जबकि सूबे के मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में  2017 में 6.6 करोड़ पेड़ लगाए जाने की बात कही है। 

जबकि हैदराबाद में यह आंकड़ा 2.7 से घटकर 1.6.6 फीसदी रह गया है। जबकि मुंबई में यह आंकड़ा 34 फीसदी से घटकर 13 फीसदी, कोलकाता का यह आंकड़ा डराता है। यह 23.4 से घटकर 7.3 फीसदी और अहमदाबाद में भी पेड़ों की कटाई 50 फीसदी से ज्यादा हुई है। यह भी 46 फीसदी से घटकर 24 फीसदी रह गया है।  

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