तकनीक बहुत तेजी से बदलती है और इस क्षेत्र में काम करने वालों के लिए ये एक बड़ी चुनौती है। हर साल की तरह इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रहीं है जिनकी परफॉर्मेन्स उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है। हर साल निचले स्तर के आईटी पेशेवरों की नौकरियां जाती हैं लेकिन इस साल बड़े पदों पर बैठे आईटी पेशेवरों पर ये गाज गिर रही है।ये भी पढ़े: अभी-अभी: पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव की लाश आई भारत, देश में मचा हाहाकार…
भारत के आईटी उद्योग में इन दिनों छंटाई चल रही है जिसमें मध्य और उच्च स्तरीय प्रबंधकीय पदों पर तलवार चल रही है । इस साल वाइस प्रेसिडेंट, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के पदों पर बैठे दिग्गजों को भी पिंक स्लिप थमाई जा रही है।
अंडर परफॉर्मर पर नजर
कई बड़ी आईटी कंपनियों के अधिकारियों ने इस बारे में सिर्फ इतना ही कहा है कि ये हर साल होता है कि अंडर परफॉर्मर यानी जिसका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा, उन कर्मचारियों को हटाया जाता है। इनफोसिस के एचआर और फाइनेंस विभाग के पूर्व प्रमुख मोहनदास पाई ने बीबीसी से कहा, “कई बार उद्योगों में पता चलता है कि कई स्तरों पर अव्यवस्था हो गई है। कई लोग ऊंचे पद पर पहुंच जाते हैं लेकिन वहीं पर ठहर जाते हैं और फिर क्लर्क की तरह काम करते रहते हैं। इसलिए हर पांच साल में इस तरह के कदम उठाने पड़ते हैं।”
आईटी क्षेत्र में तेजी से बदलाव
150 अरब डॉलर का आईटी उद्योग इस समय में कई बदलावों के दौर से गुजर रहा है। दुनिया के कई देशों में भारतीय आईटी कंपनियां सेवाएं दे रही थीं लेकिन अब इनकी मांग में कमी देखी गई है। वो दिन चले गए जब आईटी उद्योग में 35 से 40 फीसदी की सालाना वृद्धि देखी जाती थी। इन दिनों आईटी उद्योग छह से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
वैद्य आगे कहते हैं, ”दरअसल बड़े प्रॉजेक्ट जो पहले 15 से 20 महीनों में खत्म होते थे वो अब तीन महीने में ही खत्म हो रहे हैं। इसलिए इनके लिए जरूरी कौशल में बड़ा बदलाव आया है। ये बदलाव सिर्फ तकनीक के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि टेस्टिंग, इवैल्यूएशन और प्रॉजेक्ट मैनेजमेन्ट के क्षेत्र में भी आए हैं। इसलिए कुछ खास पदों पर बैठे लोगों को अपने आपको इसके हिसाब से ढालना होगा या बाहर का रास्ता देखना पड़ेगा।”
वहीं उप्पालूरी ने कहा, ”आखिर लक्ष्य है उत्पादकता बढ़ाना और लाभ को बेहतर बनाना।” इन सबके बावजूद सभरवाल को विश्वास है कि अभी 35 लाख लोगों को रोजगार दे रहे आईटी उद्योग में अगले तीन साल में ये संख्या 50 से 60 लाख हो जाएगी। क्योंकि हर कंपनी अब तकनीक कंपनी बन चुकी है और हर किसी को एक सॉफ्टवेयर की जरूरत है।” यहां सौ बात की एक बात ये है कि आईटी उद्योग में लंबी पारी खेलनी है तो अपने कौशल को लगातार बढ़ाना और तकनीक के बदलते स्वरूप के साथ कदम से कदम मिलाना, यही सूत्र काम आएगा।
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