क्या है व्रत का मुहूर्त
28 सितंबर को व्रत शुरू होगा और यह 30 सितंबर तक चलेगा। यह भी एक तरह से छठ की तरह की होता है। इसमें नहाय-खाय का भी चलन है। इसके बाद इसका पारण करना होता है। ज्योतिष आचार्य की मानें तो 28 को तीन बजकर 5 मिनट पर अष्टमी योग है यह 29 सितंबर को शाम 4 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 29 सितंबर को सूर्योदय होने पर ही यह व्रत मनेगा और 30 सितंबर को सुबह 6 बजे पारण किया जाएगा।
क्या है परंपरा और व्रत का तरीका
वैसे तो व्रत और त्योहार पर मासांहार का सेवन नहीं किया जाता है लेकिन इस व्रत में कई जगह लोग मछली खाकर भी व्रत करते हैं। इस परंपरा के पीछे का कारण व्रत कथा में चील और सियार का होना है। व्रत से पहले महिलाएं गेहूं के आटे की रोटियां और मरुआ के आटे की रोटी खाती हैं। नोनी का साग भी बनाया जाता है। व्रत के दिन महिलाएं स्नान करके भगवान की पूजा जीमूतवाहन बनाकर करती हैं। लाल रंग का धागा चढ़ाना शुभ माना जाता है। इसमें सोने का लाकेट होता है जिसे महिलाएं खुद पहनकर बच्चों को पहनाती हैं। बाद में माताएं धारण करती हैं।
GB Singh