Kingfisher बैंक लोन केस: इंग्लैंड में प्रॉपर्टी सीज, बेचारे बने विजय माल्या

Kingfisher बैंक लोन केस: इंग्लैंड में प्रॉपर्टी सीज, बेचारे बने विजय माल्या

भारत में एक दर्जन से अधिक बैंकों से 9000 करोड़ रुपये तक लेकर फरार कारोबारी विजय माल्या को अब इंग्लैंड में प्रति सप्ताह महज 4.5 लाख रुपये खर्च कर पाएंगे. विजय माल्या पर इंग्लैंड की कोर्ट में प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने उनकी संपत्ति को सीज करने का आदेश दे चुकी है.Kingfisher बैंक लोन केस: इंग्लैंड में प्रॉपर्टी सीज, बेचारे बने विजय माल्याअभी-अभी: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने 1300 शाखाओं के IFSC कोड बदले

कोर्ट दस्तावेजों के मुताबिक विजय माल्या ने कोर्ट से 18 लाख रुपये प्रति सप्ताह की खर्च लिमिट की मांग की थी लेकिन उनके खिलाफ बैंक लोन फ्रॉड के मामले के चलते कोर्ट ने उम्मीद से कम की मंजूरी दी है. लंदन कोर्ट में दिए साक्ष्यों के मुताबिक इंग्लैंड में विजय माल्या के पास कम से कम तीन मकान, दो जहाज, कई कारें मौजूदा हैं. उनके दो जहाज (याच) फोर्स इंडिया और जिप्पो की बाजार में बोली लगी हुई है.

इंग्लैंड में माल्या बेच रहे अपने 100 करोड़ के आलिशान याच

माल्या ने इंग्लिश चैनल में तैरती अपनी फोर्स इंडिया जहाज के लिए 105 करोड़ रुपये की बोली लगा रखी है. वहीं दूसरे छोटे और आलिशान जहाज को वह 2.5 करोड़ रुपये में वह बेचना चाहते हैं. माल्या को कर्ज देकर फंसे भारतीय बैंकों के कंजॉर्टियम के मुताबिक विजय माल्या ने भारत में बैंकों से कर्ज लेकर उस पैसे दो भारत से बाहर, अपने, अपने बच्चों और पत्नी के नाम ट्रांसफर कर दिया है. इस गुहार को ध्यान में रखते हुए लंदन की कोर्ट में माल्या द्वारा मांगे गए 18 लाख रुपये खर्च करने की लिमिट को ठुकरा दिया था.

अब तय होगा क्या इंग्लैंड से भारत जाएगा माल्या?

विवादों में घिरे शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई के तीसरे दिन आज बचाव पक्ष ने एक बैंकिंग विशेषग्य को पेश किया. ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में यह सुनवाई चल रही है. इस सुनवाई का फैसला तय करेगा कि माल्या को वापस भारत भेजा जाना चाहिये या नहीं.

दर्जनों बैंक के 9,000 करोड़ डकारना नहीं चाहते थे माल्या?

माल्या 9,000 करोड़ रुपये के धन शोधन और बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामलों में वांछित हैं. माल्या के बचाव में बैंकिंग विशेषग्य को एक गवाह के तौर पर पेश किया. बैंकिंग विशेषग्य पॉल रेक्स ने अपनी दलील में इस बात पर जोर दिया कि वास्तव में माल्या का धोखाधड़ी करने का कोई इरादा नहीं था.

बैंकिंग विशेषग्य पॉल रेक्स, जिनके बारे में बताया गया कि उनका बैंकिंग क्षेत्र में 20 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में स्वतंत्र विशेषज्ञ के तौर पर काम किया है. माल्या की बचाव वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने अपनी दलीलों में कहा था कि भारत सरकार की ओर से पेश हुई क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस सीपीएस उनके मुवक्किल पर दायर मामले को प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का मामला स्थापित करने में विफल रही है. 

उधर, रेक्स की दलील के मुताबिक माल्या की धोखाधड़ी करने की कोई मंशा नहीं थी. जबकि सीपीएस की दलील थी कि माल्या ने जो कर्ज लिया उसे चुकाने की उसकी मंशा नहीं थी क्योंकि उनकी विमानन कंपनी का बंद होना अपरिहार्य हो गया था.

बेचारे भी विजय माल्या?

क्लेयर ने यह स्थापित करने की कोशिश की कि किंगफिशर के बंद होने में परिस्थितियां जिम्मेदार रही क्योंकि 2009 से 2010 के बीच वैश्विक आर्थिक मंदी का दौर था और कंपनी का बंद होना कंपनी के नियंत्रण से बाहर होने का परिणाम था.

क्या राज्य सभा में बिगड़ गई बात?

इस सुनवाई के बाद आने वाला फैसला तय करेगा कि माल्या को वापस भारत भेजा जाना चाहिये या नहीं जहां वह 9,000 करोड़ रुपये के धन शोधन और बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामलों में वांछित हैं. माल्या ने अपने वकीलों के माध्यम से दावा किया कि उनके खिलाफ चल रहा मामला राजनीति से प्रेरित है और सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा कांग्रेस और शिवसेना इसका राजनीतिक फायदा उठा रही हैं.

माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमरी- ‘पोलिटिकल विक्टिम’

माल्या के वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में कहा था कि सीबीआई का भ्रष्टाचार और चुनावी साल से जुड़े मामलों में राजनीति से प्रेरित होकर मामलों को हल करने का पुराना इतिहास रहा है. माल्या के वकील द्वारा यह दलील दिये जाने के दौरान सीबीआई का विशेष दल भी अदालत में मौजूद था. इस दल का नेतृत्व सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना कर रहे हैं। न्यायमूर्ति एमा अर्बथनॉट की अदालत में क्लेयर ने भारत सरकार की ओर पेश हुए क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस सीपीएस द्वारा जमा किए गए सबूतों की स्वीकार्यता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इनमें काफी सामग्री सवालों के दायरे में है और जमा किए गए कम से कम एक दर्जन दस्तावेज टेंप्लेट की तरह दिखायी पड़ते हैं.

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