NCLT ने दिवाला समाधान कार्यवाही शुरू करने के अनुरोध वाली गो फार्स्ट की याचिका किया स्वीकार

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण यानी NCLT ने दिवाला समाधान कार्यवाही शुरू करने के अनुरोध वाली गो फार्स्ट की याचिका को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ NCLT ने गो फर्स्ट के परिचालन के लिए अभिलाष लाल को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है। NCLT ने गो फर्स्ट को अपना काम और वित्तीय बाध्यताओं को पूरा करते रहने देने के साथ किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं करने को कहा है। इस बीच, एयरलाइन ने कहा कि परिचालन संबंधी कारणों से गो फर्स्ट की 19 मई 2023 तक की उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। आपको बता दें कि प्राइवेट सेक्टर की गो फर्स्ट एयरलाइन ने खुद दिवाला प्रक्रिया में जाने की अपील की थी। विमान देने वाली कंपनियों की अपील: इस बीच, गो फर्स्ट को पट्टे पर विमान देने वाली कंपनियों ने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से विमानों का पंजीकरण खत्म करने का अनुरोध किया है। अबतक कुल 45 विमानों का पंजीकरण खत्म करने की अपील की जा चुकी है। बीते दो मई को विमान परिचालन बंद करने की घोषणा करते समय गो फर्स्ट के बेड़े में कुल 55 विमान मौजूद थे। गो फर्स्ट ने क्यों लिया फैसला : वाडिया समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन ने विमान इंजन की आपूर्ति संबंधी समस्याओं का हवाला देते हुए कहा था कि वित्तीय संकट होने से वह उड़ानों का परिचालन नहीं कर पा रही है। एयरलाइन कंपनी पर करीब 11,463 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं। बता दें कि गो फर्स्ट करीब 18 साल से एविएशन इंडस्ट्री में सक्रिय है। इसका नाम पहले गो एयर था, जिसे 2021 में बदल दिया गया। जेट एयरवेज जैसी हालत: गो फर्स्ट एयरलाइन से पहले जेट एयरवेज का भी यही हाल हुआ था। नकदी संकट की वजह से जेट एयरवेज ने अप्रैल 2019 में उड़ान सेवाएं बंद कर दी थी। इसके बाद कंपनी दिवाला प्रक्रिया में गई और इसके नए खरीदार कालरॉक कैपिटल-मुरारी लाल जालान वाला कंसोर्टियम बना।
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