पूरे देश में रहती है रौनक
शक्ति का पर्व शुरू होने पर हर मंदिरों में आपको चहल पहल दिखेगी। इस बार कोरोना की वजह से कुछ मंदिरों में सख्ती रहेगी, जबकि कहीं-कहीं नियम और शर्तों के साथ में भक्तों को आने दिया जाएगा। अश्विन महीने में पड़ने वाली नवरात्रि की धूम पूरे देश में दिखाई पड़ती है। इस नवरात्रि में ही गुजरात में गरबा और डांडिया की रौनक व पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। जगह-जगह मां देवी की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं और दशहरे के दिन उनका विसर्जन किया जाता है। इस नवरात्रि से ही ऋतु परिवर्तन भी दिखना शुरू हो जाता है, जिससे हल्की-हल्की ठंड आती है। लोगों को काफी इंतजार होता है। नवरात्रि पर देवी मां डोली पर सवार होकर आ रही हैं। यह शुभ माना जाता है। गुरुवार और शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर मां डोली पर सवार होकर आती हैं।
कलश स्थापना का क्या है मुहूर्त
सात अक्तूबर को गुरुवार के दिन से नवरात्रि का आयोजन होगा। यह 15 अक्तूबर तक मनाया जाएगा। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्र में लोग घरों में कलश को स्थापित करके मां की पूजा करते हैं। जानकारी के मुताबिक, इस बार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह सवा छह बजे के बाद से सवा दस बजे से पहले तक है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.46 से लेकर 12.32 तक है। अगर नौ दिन का उपवास कर रहे हैं तो उनके लिए पारणा का मुहूर्त है जो 15 अक्तूबर को शाम 6.22 बजे के बाद होगा। घट स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में सात तरह के अनाज रखें और कलश में जल भरें। उसे मिट्टी के पात्र पर रखें। कलश पर आम के पत्ते लगाएं और लाल कपड़ा या कलावा बांधे और उस पर नारियल रखें। गणपति पूजन के बाद कलश की पूजा करें और मां का आह्वान कर उन्हें आमंत्रित करें।
GB Singh