SurgicalStrike के बाद पाक की गीदड़भभकी ! इस वजह से नहीं कर सकता….

एलओसी पार करके भारतीय सेना की ओर से की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया को लेकर भारत पूरी तरह तैयार है। पाकिस्तान की ओर से गाहे बगाहे दी जाने वाली न्यूक्लियर हमले की धमकी को भी भारत ज्यादा तवज्जो नहीं देता। दरअसल, भारत इसे गीदड़भभकी से ज्यादा कुछ नहीं मानता। भारत जानता है कि पाक सिर्फ डींगे हांकने में माहिर है।

SurgicalStrike के बाद पाक की गीदड़भभकी ! इस वजह से नहीं कर सकता....पाकिस्तान ने दी धमकी 

पाकिस्तान ने पिछले कई सालों से जम्मू-कश्मीर में भारत के खिलाफ एक अघोषित युद्ध छेड़ रखा है। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों के सहारे पाकिस्तान आम जनजीवन में बाधा डालते हुए भारतीय सैन्य बलों पर हमले करता रहा है। भारत भी इन हमलों का छोटे स्तर पर ही सही, पर जवाब देता है। दरअसल, भारत शिमला समझौते को निभाते हुए एलओसी की कद्र करता रहा है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने हमेशा से भारत के इस संयम की तारीफ की है पर अमेरिका और कुछ अन्य देशों ने पाक पर लगाम लगाने के लिए कभी कुछ खास नहीं किया। ऐसे में, उड़ी हमले के बाद भारत का सब्र जवाब दे गया और भारत ने एलओसी पार कर के सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान से बदला ले लिया।

सीमा पर पिछले कुछ दिनों में आतंकवादी घुसपैठ की 17 कोशिशों का नाकाम करने के बाद आखिरकार भारत के जवानों ने एलओसी पार सात आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इस हमले में न सिर्फ आतंकियों का सफाया किया गया बल्कि पाकिस्तानी आर्मी के जवानों को भी मौत के घाट उतारा गया। इस हमले से पहले खुद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मोर्चा खोल दिया।

संयुक्त राष्ट्र आम सभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री की कोशिशों को पूरी दुनिया के सामने रखा। इसका असर यह हुआ कि रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देश खुलकर भारत के समर्थन में आ गए। यहां तक कि चीन ने भी संभल कर प्रतिक्रिया देते हुए संयम बरतने की सलाह दी पर पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ सऊदी अरब, यूएई, कतर और बहरीन जैसे देशों का भारत को समर्थन। इन देशों को पाकिस्तान अपना स्वाभाविक सहयोगी मानता था।

पाकिस्तान में भारत के राजदूत रह चुके जी पार्थसारथी के मुताबिक, एलओसी पर हमले से पहले भारत, पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में पूरी तरह अलग-थलग करने में कामयाब रहा। भारत काफी दिनों से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिशों में लगा हुआ था। नवाज शरीफ और उनके सलाहकार सकते में आ गए जब उन्हें पता चला कि भारत से हाथ मिलाते हुए बांग्लादेश,अफगानिस्तान और भूटान भी इस्लामाबाद में 20 नवंबर को प्रस्तावित सार्क सम्मेलन का बहिष्कार करेंगे।

पाकिस्तान की किरकिरी इस बात से ज्यादा हुई कि इन देशों ने बाकायदा पूरी दुनिया को यह बताया कि वे आतंकवाद को समर्थन देने की पाकिस्तान की नीति के विरोध में सार्क सम्मेलन का बहिष्कार कर रहे हैं। एलओसी पार भारतीय सेना के हमले से पहले, पाकिस्तान को अफगानिस्तान और ईरान से सटी सीमा पर भी तनाव और गोलीबारी का सामना करना पड़ा। अफगानिस्तान के साथ लगे बॉर्डर पर पिछले कुछ महीनों से तनाव का माहौल बना हुआ है।

यह देखना भी काफी सुखद रहा कि विपक्ष खुलकर सेना की कार्रवाई का समर्थन करता नजर आया। अब सवाल उठ रहे हैं कि पाकिस्तान की न्यूक्लियर हमले की बार बार दी जाने वाली धमकी से कैसे निपटा जाए? क्या पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को और बढ़ाएगा? दुनिया इस पर कैसी प्रतिक्रिया देगी ? वैसे यह मानना तो भोलापन होगा कि पाकिस्तान अब आतंकवाद को समर्थन देना बंद कर देगा। हम एक ऐसे देश के साथ निपटने में लगे हैं जिसने अमेरिका की चेतावनी के बावजूद तालिबान को समर्थन देना जारी रखा।

पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर तो घुसपैठ की कोशिशें जारी रहेंगी ही पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान ने भारत में कई ‘स्लीपर सेल’ आतंकवादी बना रखे हैं और वह उनका इस्तेमाल भी कर सकता है। अमेरिका जैसे देश हालांकि संयम और बातचीत की सलाह देते रहे हैं पर अब उन्हें पाकिस्तान को लगातार यह चेतावनी देनी होगी कि वह आतंकवाद को समर्थन देना बंद करे।

खास बात यह है कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की भारत को न्यूक्लियर हमले धमकी देने के अगले ही दिन भारत ने एलओसी पार सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। ऐसा कर के भारत ने साबित कर दिया कि उसकी नजर में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान सिर्फ डींगे हांकने जैसा है। भारत को याद है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के पूर्व मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई ने कहा था कि पाकिस्तान न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल तभी करेगा जब उसके बड़े आबादी वाले शहरों को निशाना बनाया जाएगा या फिर जब पाकिस्तानी आर्मी हार रही होगी।

भारत को पाकिस्तान के टूटते, बिखरते शहरों में वैसे भी कोई दिलचस्पी नहीं, वह तो खुद अपनी ‘स्मार्ट सिटी’ बनाने में लगा हुआ है। भारत को पता है कि पाकिस्तान की आर्मी धमकी जरूर दे सकती है पर ऐसा आत्मघाती कदम कभी नहीं उठाएगी। भारतीयों के लिए यह समझना जरूरी है। भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की अपनी कोशिशों को और आगे बढ़ाना होगा। साथ ही बड़े देशों और प्रभावशाली इस्लामिक देशों को पाकिस्तान पर दबाव डालने के लिए मजबूर करना होगा। भारत को इस बात के लिए हर संभव कोशिश करनी होगी कि अमेरिकी कांग्रेस पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करे। कोझिकोड में दिए अपने भाषण में पीएम मोदी ने सीधे पाकिस्तान के लोगों तक पहुंचने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की जनता अपने हुक्मरानों से विकास और खुशहाली को लेकर सवाल पूछे। यह संदेश बार बार दोहराना होगा।

India well aware of Pak’s nuke threshold
For over a quarter of a century, Pakistan has waged an unde clared war against India in Jammu and Kashmir, using radical Islamic groups like the Lashkar-e-Taiba and Jaish-e-Mohammed, to disrupt life across the LoC and attack Indian security forces. There have been occasional, small-scale actions to respond to such attacks. But India has abided by the letter and spirit of the Simla Agreement to respect the “sanctity“ of the LoC. While the international community lauded India’s “restraint,“ the US and others did little to “restrain“ Pakistan. For India, the Uri attack was the proverbial last straw on the Indian camel’s back.

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