महान बल्लेबाज और भारत में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने साल 1989 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी। शायद ही कोई ऐसा रिकाॅर्ड हो जो सचिन तेंदुलकर ने नहीं बनाए होंगे। बता दें कि सचिन अपने करियर में 100 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाने वाले दुनिया के अकेले खिलाड़ी हैं। वहीं उन्होंने 200 टेस्ट मैच व 463 वनडे मैच भी खेले हैं।
बता दें कि 463 मैचों में सचिन ने अब तक 34 हजार से अधिक रन बना डाले हैं। हालांकि फिर भी सचिन तेंदुलकर को अपने करियर के वक्त की दो चीजों का अफसोस हैं। तो चलिए जानते हैं कि इतनी उपलब्धियां हासिल करने के बाद भी उन्हें किन 2 चीजों का अफसोस है।
सबसे पहला अफसोस तो इस बात का है सचिन को
सचिन तेंदुलकर को सबसे पहला अफसोस एक खास बात का है। दरअसल सचिन तेंदुलकर पूर्व भारतीय दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर के फैन हैं तो वो उनके साथ में खेलना चाहते थे। हालांकि ऐसा कभी पॉसिबल ही नहीं हो पाया। दरअसल गावस्कर ने सचिन के डेब्यू के पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था। बता दें कि साल 1987 में गावस्कर ने सन्यास ले लिया था। इस बात का खुलासा सचिन ने क्रिकेट डाॅट काॅम से बातचीत के दौरान किया था। उन्होंने कहा था, ‘मुझे अपने करियर से जुड़ी दो बातों का अफसोस है। दरअसल गावस्कर मेरे क्रिकेट डेब्यू के पहले ही रिटायर हो गए।’
ये है सचिन के करियर का दूसरा सबसे बड़ा अफसोस
सचिन ने इंटरव्यू में आगे अपने करियर के दूसरे बड़े अफसोस के बारे में बताया। सचिन ने इस बारे में आगे बताते हुए कहा, ‘मेरे करियर का दूसरा सबसे बड़ा अफसोस है विवियन रिचर्ड्स का रिटायर होना। मैं उनके खिलाफ कम से कम एक मैच तो खेलना चाहता था पर मैं ऐसा नहीं कर पाया। हालांकि मेरे लक ने मेरा थोड़ा साथ दिया और मैं उनके खिलाफ काउंटी क्रिकेट में खेला था। वहीं मुझे उनके खिलाफ एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलना नसीब नहीं हुआ था। रिचर्ड्स ने साल 1991 में रिटायरमेंट ले लिया था और उस वक्त मेरे करियर के दो साल पूरे हो गए थे। इस वजह से हमें एक-दूसरे के खिलाफ खेलने के मौका ही हाथ नहीं लग पाया।’ मालूम हो कि रिचर्ड्स एक वक्त पर क्रिकेट के धाकड़ बल्लेबाज रहे हैं। उनकी धुआंधार बल्लेबाजी का हर कोई दीवाना था। उनकी बल्लेबाजी में इतना दम था कि वे अकेले के दम पर सिर्फ अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी की बदौलत मैच पलटने की ताकत रखते थे।
ऋषभ वर्मा