इन दिनों आईपीएल के बचे हुए बाकी के मैचों के होने की खबर सामने आ रही है। ऐसे में कई सारे खिलाड़ियों की कहानियां भी सोशल मीडिया पर दिखने लगी हैं। इसी क्रम में पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने एक बार महज 2 गेंदों पर 21 रन बना डाले थे। सहवाग वैसे भी कई मैचों में पहली गेंद पर चौका लगाने से अपनी पारी की शुरुआत करने के लिए जाने जाते थे। तो चलिए जानते हैं कि सहवाग ऐसा किस बाॅलर की गेंद पर किस मैच में ये कारनामा किया था।
जब सहवाग ने 2 गेंदों पर बनाए थे 21 रन
वीरेंद्र सहवाग टी इंडिया की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेल रहे थे। साल 2004 की बात है जब इंडिया वर्सेस पाकिस्तान वनडे मैच खेला जा रहा था। उस मैच में पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज राणा नावेद उल हसन बॉलिंग करा रहे थे। वहीं बैटिंग एंड पर वीरेंद्र सहवाग थे। उस वक्त मैच का ग्यारहवां ओवर चल रहा था। राणा नावेद ने वीरेंद्र सहवाग के खिलाफ पहली गेंद नो बाॅल डाली थी और उस नो बाॅल पर सहवाग ने चौका लगाया था।
राणा ने ग्यारहवें ओवर में फेंकी थीं 5 नो बाॅल
पाकिस्तानी गेंदबाज राणा ने सहवाग के खिलाफ एक ओवर में उस वक्त 5 नो बाॅल डाली थी। बता दें कि राणा की पहली नो बाॅल पर सहवाग ने चौका जड़ा था तो दूसरी गेंद पर सहवाग ने छक्का लगा दिया था। वहीं राणा की तीसरी नो बाॅल ही डाली। वहीं चौथी गेंद सही डाली गई थी पर उस पर कोई रन नहीं बने थे। हालांकि फिर से अगली गेंद नो बाॅल थी और सहवाग ने फिर से अपना बल्ला घुमा कर बाॅल बाउंड्री पार लगा दी थी। इसके बाद राणा ने एक और नो बाॅल डाली और इस तरह से उन्होंने पूरे ओवर में टोटल 5 नो बाॅल डाली थी। इस ओवर में सहवाग के बल्ले से कुल 16 रन निकले थे और 5 रन नो बाॅल के जरिए जुटाए थे। इस तरह से सहवाग ने इस ओवर में कुल 21 रन बनाए थे।
आखिरी गेंद पर राणा ने दिए थे तीन रन
वहीं पाकिस्तानी गेंदबाज राणा की आखिरी बाॅल तो सबसे महंगी साबित हुई थी। राणा की करियर का सबसे खराब ओवर यही रहा था। इस ओवर में राणा ने कुल 24 रन दे डाले थे। इस ओवर की आखिरी गेंद पर सहवाग ने तीन रन बटोरे थे। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सहवाग के नाम ये रिकॉर्ड दर्ज है कि एक गेंद पर उन्होंने सबसे अधिक रन बनाए।सहवाग के नाम ही भारत के लिए टेस्ट मैचों में पहला तिहरा शतक जड़ने का कारनामा भी है जो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ मुल्तान में बनाया था। इसके बाद से ही उन्हें मुल्तान का सुल्तान के नाम से भी जाने जाना लगा था।
ऋषभ वर्मा