विदेशी पोतों को लूटने वाले 117 में से 15 सोमालियाई डाकुओं को विशेष अदालत ने दोषी ठहराया है। इन्हें सात साल कैद और 11 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। दोषियों ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है, क्योंकि सभी छह साल से ज्यादा वक्त जेल में गुजार चुके हैं। विशेष जज जेसी जगदल ने सोमालियाई समुद्री डाकुओं को बुधवार को हत्या का प्रयास, अपहरण और आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोपों में दोषी करार दिया। एक बार फिर फड़नवीस सरकार पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप…
अदालत ने सजा पूरी होने के बाद सभी को वापस सोमालिया भेजने का भी निर्देश दिया है। नौसेना 31 जनवरी, 2011 को सभी 15 सोमालियाई डाकुओं को अरब सागर से गिरफ्तार कर मुंबई लाई थी। बाद में इन्हें पुलिस के हवाले कर दिया गया था। पुलिस ने उसी साल अप्रैल में इनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी। सितंबर, 2011 में कोर्ट ने सभी 117 डाकुओं को दोषी ठहराया था, लेकिन सजा नहीं सुनाई जा सकी थी।
गवाह के तौर पर पेश हुए सर्विस असिस्टेंट कमांडेंट पवन यादव ने मामले के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि आरोपियों से पूछताछ के दौरान डाकुओं के सरगना उस्मान सलाद का नाम सामने आया था। उसने व्यापारिक पोत को अगवा करने के एवज में पहले सौ डॉलर (6,369 रुपये) का भुगतान किया था। बाद में और राशि देने का वादा किया था।
भारतीय नौसेना ने चार बचाव अभियान चलाकर कुल 117 समुद्री डाकुओं को गिरफ्तार किया था। विभिन्न पोतों में सवार चालक दल के दर्जनों सदस्यों को डाकुओं के कब्जे से छुड़ाया भी गया था। इनमें थाइलैंड, म्यांमार, ईरान और पाकिस्तान के नागरिक शामिल थे। सुनवाई के दौरान भारत के अनुरोध के बावजूद गवाही के लिए विदेशी नागरिक पेश नहीं हुए थे। डाकुओं के पास से राइफल के अलावा आरपीजी (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड) जैसे घातक हथियार बरामद किया गया था।