अखिलेश यादव के गढ़ में उम्मीद से कम हुआ मतदान, सपा की बढ़ी टेंशन

अखिलेश यादव के गढ़ कहे जाने वाली मैनपुरी की करहल विधानसभा पर इस बार मतदान प्रतिशत इतना कम रहा, जिससे सपा खेमे में मायूसी छाई हुई है। हालांकि जीत का दावा जरूर किया जा रहा है, लेकिन भाजपा में खुशी की लहर है।

मैनपुरी के करहल विधानसभा उपचुनाव के लिए बुधवार को हुए मतदान में मतदान का गिरा प्रतिशत किसको अभयदान देगा यह तो 23 नवंबर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा। मतदान का प्रतिशत गिरने से जहां भाजपा खेमे में खुशी देखने को मिल रही है। वहीं सपा इसके बाद भी करहल सीट को जीतने का दावा कर रही है। राजनैतिक जानकार इस बार बड़ी जीत की संभावना को नकार रहे हैं।

विधानसभा उपचुनाव में बुधवार को हुए मतदान का प्रतिशत 53.89 रहा है। जबकि वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 66.11 रहा था। इस बार 12.20 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक इस बार 45000 कम वोट पड़ा है। करहल विधानसभा में हर बार मतदान का प्रतिशत 60 प्रतिशत से ज्यादा रहता था। मतदान का बढ़ा प्रतिशत हमेशा सपा को लाभ पहुंचाने वाला माना जाता था।

कमरिया-घोषीवाद का लगा नारा
इस बार सपा ने पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया तो भाजपा ने सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश सिंह को मैदान में उतार दिया। अनुजेश ने यादव समाज के वोटों में विभाजन करने की जमकर कोशिश की। कमरिया घोषीवाद का भी भाजपा की ओर से नारा दिया गया। मतदान के दिन मतदान के कम प्रतिशत ने सपा में जहां बेचैनी बढ़ाई है वहीं भाजपा के लोग कम मतदान से उत्साहित हैं। कम मतदान को वह अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं। सपा नेता दावा कर रहे हैं कि कम मतदान के बाद भी करहल विधानसभा में सपा ही जीतेगी। हालांकि राजनैतिक जानकार विधानसभा उपचुनाव में बड़ी जीत की संभावना को नकार रहे हैं।

2002 में 54.3 प्रतिशत मतदान पर जीती थी भाजपा
करहल विधानसभा सीट पर भाजपा ने वर्ष 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। तब पार्टी ने सोबरन सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था। तब कुल 54.3 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके बाद लगातार मतदान बढ़ता रहा। ऐसे ही समीकरण इस बार भी नजर आ रहे हैं। एक बार फिर प्रत्याशी यादव है तो वहीं मतदान का प्रतिशत भी कम है।

ईवीएम में कैद हुई प्रत्याशियों की किस्मत
करहल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे सभी सात प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। कड़ी सुरक्षा के बीच ईवीएम को नवीन मंडी स्थित स्ट्रांग रूम में रखवाया गया। यहीं अब 23 नवंबर को मतगणना होगा, जिसके बाद हार जीत का फैसला भी हो जाएगा।

इनके बीच टक्कर
18 अक्तूबर को चुनाव आयोग ने उप चुनाव का बिगुल बजा दिया था। इसके बाद से ही राजनीतिक दल सक्रिय हो गए थे। कुल सात प्रत्याशी इस बार मैदान में थे। मुख्य रूप से सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव, भाजपा प्रत्याशी अनुजेश सिंह और बसपा प्रत्याशी अवनीश शाक्य पर ही जनता की नजरें थीं। जनसंपर्क, सभाएं और रोड शो के बाद 20 नवंबर को मतदान हुआ। शाम को 5 बजे मतदान समाप्त हो गया। इसके साथ ही मतदाताओं का आशीर्वाद और प्रत्याशियों की किस्मत भी ईवीएम में कैद हो गई।

इतने बजे तक आएगा परिणाम
23 नवंबर को सुबह 8 बजे से नवीन मंडी में मतगणना शुरू होगी। दोपहर 12 बजे तक ही तस्वीर साफ हो जाएगी कि आखिर जीत का ताज किसके सिर पर सजेगा। मतदान समाप्त होने के बाद अब प्रत्याशी हार जीत का गणित लगा रहे हैं। इसके लिए वे मतदान केंद्रवार हुए मतदान को भी देख रहे हैं।

अब ये सात प्रत्याशी हैं मैदान में

-अनुजेश सिंह, भाजपा
-तेजप्रताप सिंह, सपा
-अवनीश कुमार, बसपा
-सुनील मिश्रा, सर्व समाज जनता पार्टी
-प्रदीप, आजाद समाज पार्टी कांशीराम
-विवेक यादव, सर्वजन सुखाय पार्टी
-सचिन कुमार, निर्दलीय

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