लखनऊ: उत्तर प्रदेश के डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़ा कर 65 करने की कवायद तेज हो गई। इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक से संस्तुति प्रस्ताव मांगा है। डीजी ने अपना प्रस्ताव भेज भी दिया है। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद इसे लागू कर दिया जायेगा।
इसके लागू होने से प्रदेश के 14500 डॉक्टरों को सीधा फायदा पहुंच जायेगा। वहीं कुछ सालों तक डॉक्टरों की कमी से भी निपटा जा सकेगा। स्वस्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रदेश में 7000 डॉक्टरों की कमी बताते हुए बड़ी समस्या बताया था। वहीं हर साल सैकड़ों डॉक्टर रिटायर हो जा रहे हैं। इससे और संकट बढ़ रहा है।
चिकित्सा विभाग के संयुक्त सचिव विनोद कुमार सिंह की ओर से मंगलवार को जारी पत्र में डीजी हेल्थ से तुरंत इस मामले में जवाब देने को कहा गया। डीजी की ओर से संस्तुति का पत्र शासन को भेज दिया गया है। वर्ष 2017 में रिटायर होने वाले डॉक्टरों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की संख्या सबसे अधिक है।
प्रदेश में 4500 स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं लेकिन अभी भी 2500 से अधिक की कमी है। अगर कैबिनेट ने इस फैसले को मंजूरी दे दी तो यह अब तक का स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा फैसला होगा। जानकार बताते हैं कि इस फैसले से नई भर्ती से लेकर मरीजों को राहत मिलने का काम होगा। अभी तक केजीएमयू और अन्य मेडिकल कालेजो में डाक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है, जबकि सरकारी डाक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र अभी 62 साल है।