नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में लगातार पत्थरबाजों का शिकार हो रही भारतीय सेना की मदद की मदद के लिए देश के संतों ने बीड़ा उठाया है। अलगाववादियों और आतंकवादियों की बर्बरता का शिकार हो रही सेना को मनोबल देने और उन्हें मदद पहुंचाने के लिए संतों का एक जत्था सीमा पर जाने की तैयारी कर रहा है। दरअसल कानपुर के एक हिंदूवादी संगठन जन सेना के बैनर तले लगभग एक हजार संत सात मई को सीमा पर मदद के लिए रवाना होंगे।
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इन संतों का एक ही मकसद है वो ये कि भारतीय सेना क भरपूर मदद की जाए। इस मामले में सबसे खास बात ये है कि पत्थरबाजों को उन्हीं की भाषा में सबक सिखाने के लिए एक ट्रक भरकर पत्थर भी जाएगा।
पत्रकारों के साथ बातचीत में जन सेना के संस्थापक बालयोगी चैतन्य महाराज ने बताया कि सीमा पर हमारे जवानों को अगर और जरूरत हुई तो और संत भेजे जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर बरसा रहे हैं, वे देशद्रोही हैं। इन लोगों को सबक सिखाने के लिए उन्हीं की भाषा में जवाब देना बहुत जरूरी है।
जन सेना ने इस युद्ध को विजय यज्ञ नाम दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन तथा पीएम मोदी से इजाजत मांगने पर भी हम लोगों को इजाजत नहीं मिली इसलिए हम बिना किसी की परवाह किए ही अपने रास्ते पर आगे बढ़ेंगे और यदि हमें रोका गया तो हम अपने स्तर पर वहां जाकर फिर से एकजुट हो जाएंगे।
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