अब बेटियों व माता-पिता के बीच रिश्ते सुधारने की मुहिम में जुटेंगे उलमा

अब बेटियों और माता-पिता के बीच रिश्ते सुधारने की मुहिम में उलमा जुटेंगे। ऐसा होगा मुस्लिम समाज के बीच इस्लाहे मआशरा (समाज सुधार) की कवायद के तहत। उलमा के सबसे ज्यादा शिकायतें मां-बेटी के बीच बिगाड़ को लेकर आ रही थीं। अनबन इतनी ज्यादा बढ़ रही है कि बेटियां नाराज होकर घर तक छोड़ रही हैं। इसके अलावा मोबाइल को लेकर भी आपसी झगड़े बढ़े हैं। शहर काजी मौलाना कुद्दूस हादी के मुताबिक कुली बाजार में हुई बैठक में समाज सुधार के लिए 21 सदस्यीय इस्लाहे मआशरा कमेटी गठित की है। इसके आधार पर क्षेत्रवार कमेटियां बनाई जाएंगी। उलमा घर-घर विवाद सुलझाने नहीं जाएंगे बल्कि हर घर काउंसिलिंग के उद्देश्य से जाएंगे ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
मुहिम में उलमा को जो फीडबैक मिला है उसके अनुसार घरों में टकराव की सबसे बड़ी वजह मोबाइल है। विशेषकर कोरोना काल के बाद से स्थिति ज्यादा खराब हुई है। माता-पिता हर वक्त मोबाइल पर बात करने या चैटिंग से जुड़े रहने पर डांट रहे हैं लेकिन बेटे-बेटियां मामने को तैयार नहीं हैं। इसमें तालीमयाफ्ता बेटियां भी शामिल हैं। उलमा परिवारों के बीच जाकर माता-पिता और बच्चों को मजहबी जिम्मेदारियां बताएंगे। परिजनों का फरमाबरदार बनने के फायदे और नुकसान गिनाए जाएंगे। यह बात समझाने पर जोर होगा कि शादी के कारण बेटा या बेटी घर छोड़ने पर आमादा न हों। कमेटी की जिम्मेदारी मौलाना मंजूर अहमद कासिमी को सौंपी  गई है।
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