प्रदेश में अब सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है। भविष्य में दुर्घटनाओं की जांच विभाग विशेष नहीं, बल्कि इसके लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से बनी समिति करेगी। इस समिति की रिपोर्ट व कारणों को एकत्र करने के लिए सड़क दुर्घटना डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम भी बनाया जा रहा है। इससे वर्ष भर होने वाली दुर्घटनाओं के कारणों की सही प्रकार से जानकारी मिल सकेगी।
विद्या स्टोक्स ने कहा- कि अगर शाम तक कांग्रेस ने टिकट नहीं दी तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी
प्रदेश में प्रतिवर्ष 1200 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। इनमें 1800 से लेकर 2000 लोग अकाल ही काल का ग्रास बन रहे हैं। सड़क दुर्घटनाओं के कारणों में सबसे अधिक ड्राइवर की लापरवाही व तेज गति से वाहन चलाना बताया जाता है। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद ने दुर्घटनाओं के कारणों को लेकर अपना संशय जताया था।
दिल्ली में कुछ समय पूर्व हुई बैठक में यह बात सामने आई थी कि संबंधित विभाग अपना पल्ला झाड़ने के लिए चालक की गलती व तेज रफ्तार को इसका कारण बता देते हैं, जबकि, गति को नापने के लिए इनके पास यंत्र भी नहीं है। इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि दुर्घटनाओं की जांच एक ही विभाग नहीं बल्कि संबंधित विभाग संयुक्त रूप से करेंगे। इसके अलावा इसमें दुर्घटनाओं के कारणों के 17 बिंदु बनाए गए।
इसी क्रम में अब उत्तराखंड में भी सड़क सुरक्षा जांच के लिए समन्वय समिति बनाई जा रही है। इसमें परिवहन विभाग, यातायात पुलिस, लोक निर्माण विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। यह समिति मौके से मिले साक्ष्यों के आधार पर राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद की ओर से तय किए गए नए प्रारूप में इसके कारणों का उल्लेख करेगी।
इसे सड़क दुर्घटना डाटा बेस मैनेजमेंट सिस्टम में एकत्र किया जाएगा। मंशा यह कि आगामी वर्षों में प्रदेश सड़क सुरक्षा परिषद के पास दुर्घटना के सभी आंकड़े कारणों सहित उपलब्ध हो सकें। इससे दुर्घटना के कारकों का समाधान करते हुए इस पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकेगा।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features