पाकिस्तान का एक और झूठ सामने आया है। पाक ने कहा था कि उसने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी हाफिज सईद के संगठनों पर बैन लगा दिया है। मगर एक बार फिर उसकी पोल खुल गई है। पाक में खुलेआम हाफिज के प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इनसानियत के भावलपुर, रावलपिंडी, लाहौर, शेखुपुरा, मुल्तान, पेशावर, हैदराबाद, सुक्कुर और पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में स्थित दफ्तर और चैरिटी सक्रिय रूप से चल रहे हैं।
शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को फंडिंग देने वाले देशों की सूची से पाकिस्तान को आखिरकार बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इस मसले पर पाक को अब तक चीन, सऊदी अरब और तुर्की का साथ मिल रहा था लेकिन भारत, अमेरिका, फ्रांस और यूके के समर्थन के बाद तुर्की को छोड़कर सभी देशों के सहयोग से आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने अंतत: पाक को तीन माह के लिए वित्तीय निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में डाल दिया है। पाकिस्तान के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है।
तीन दिन से पेरिस में चल रही बैठक में पाक पर आतंकवाद के खिलाफ शिकंजा कसे जाने को लेकर चर्चा चल रही थी जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ यह कदम अमेरिकी प्रस्ताव के बाद उठाया गया। चीन ने नामांकन के लिए अपनी आपत्ति वापस ले ली जिसके बाद इस प्रस्ताव को एफएटीएफ ने 36-1 मतों के अंतर से पारित कर दिया। बैठक में सिर्फ तुर्की ने पाकिस्तान के पक्ष में मतदान किया, जबकि बाकी सभी देश उसके खिलाफ खड़े हो गए। पाक को पहले तीन माह के लिए इस सूची में डाला गया है और इसके बाद इसे अगले तीन माह तक और आगे बढ़ाया जाएगा।
पाकिस्तान के खिलाफ यह कार्रवाई आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग विरोधी कानूनों के लिए सबसे कम कोशिशों के कारण की गई है। पाक पर यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के ठीक बाद में आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह पाक द्वारा आतंकवादियों पर लगाम कसने के लिए उठाए जा रहे कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। व्हाइट हाउस ने भी कहा कि पहली बार पाक को उसके कामों के लिए उत्तरदायी ठहराया गया है। गौरतलब है कि पिछले माह ही अमेरिका ने पाक को दी जाने वाली दो अरब की सुरक्षा सहायता राशि रोक दी थी।