हाल के दिनों में कांग्रेस आलाकमान और हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बीच की तनातनी जगजाहिर रही है. वीरभद्र ने नए प्रभारी महासचिव सुशील कुमार शिंदे की राज्य में अपने विरोधी नेताओं से मुलाकात को लेकर ऐसा मोर्चा खोला कि, सोनिया गांधी राहुल गांधी और अहमद पटेल को खत लिख डाला जिससे विवाद खड़ा हो गया. गुजरात में राहुल गांधी का ‘सौराष्ट्र प्लान’, पाटीदारों के सहारे सत्ता पाने का ख्वाब
गुजरात में राहुल गांधी का ‘सौराष्ट्र प्लान’, पाटीदारों के सहारे सत्ता पाने का ख्वाब
वीरभद्र सिंह ने खत में साफ लिखा कि अगर प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू हटाए नहीं जाएंगे तो वह न चुनाव लड़ेंगे ना पार्टी को लड़वाएंगे. इसके बाद कांग्रेस के खेमे में हलचल पैदा होना लाजमी था.
सूत्रों के मुताबिक, हिमाचल के प्रभारी महासचिव सुशील कुमार शिंदे को उसके बाद जिम्मेदारी सौंपी गई कि, वह हिमाचल कांग्रेस की आपसी उठापटक गुटबाजी और मनमुटाव पर काबू पाएं, जिसके बाद शिंदे ने सभी पक्षों से बात करने के बाद जो फॉर्मूला सुझाया वो आजतक के पास है.
यह होगा फॉर्मूला
यह वह फॉर्मूला है, जिस पर कांग्रेस आलाकमान अपनी सहमति दे चुका है. राहुल हो या सोनिया या फिर सोनिया के सचिव अहमद पटेल सभी का यह मानना है कि, वीरभद्र हिमाचल में हमारे सबसे मजबूत नेता हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान को अध्यक्ष हटाने की चुनौती देना ठीक नहीं, जिसके बाद ही शिंदे ने तैयार किया है वो फॉर्मूला जो आज तक के पास है.
फॉर्मूले के मुताबिक, वीरभद्र सिंह हिमाचल में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं और वही कांग्रेस पार्टी का चुनावी चेहरा होंगे वीरभद्र सिंह ही मन मुताबिक ज्यादा से ज्यादा टिकट बाटेंगे जिसकी हरी झंडी आलाकमान के संकेत पर शिंदे ने वीरभद्र को दे दी है। जल्दी 28 तारीख को हिमाचल में होने वाले कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष सुक्खू और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एक साथ मंच पर होंगे, जिससे यह कांग्रेस संदेश देगी कि, सब कुछ ठीक चल रहा है यानी वीरभद्र की बात मानी तो जा रही है, लेकिन शर्तों के साथ नहीं. यानी चुनाव में चेहरा वीरभद्र, टिकट बंटवारे में उनको अहमियत, लेकिन चुनाव के डेढ़ महीने पहले सुक्खू को नहीं हटाना बेहतर.
सूत्रों के मुताबिक, जल्दी ही सब कुछ तय होने के बाद प्रभारी शिंदे वीरभद्र सिंह और सुक्खू के बीच समझौते को अंतिम रूप दे देंगे और उसके बाद दोनों के साथ सोनिया राहुल से मुलाकात कर लेंगे. इसके साथ ही पार्टी को आस है कि हिमाचल कांग्रेस की लड़ाई शांति दौर में पहुंच जाएगी. कांग्रेस की कोशिश है कि, लड़ाई इस बार कांग्रेस बनाम कांग्रेस नहीं, कांग्रेस बनाम बीजेपी हो. इस पूरी सियासत में हिमाचल कांग्रेस के वह नेता जो राष्ट्रीय राजनीति में दखल रखते हैं उनको भी शिंदे ने मना लिया है. उनको भी दर्जनभर टिकटों का वायदा कर दिया गया है, वो नेता हैं वीरभद्र से 36 का आंकड़ा रखने वाले आनंद शर्मा, जिनको सुक्खू की ताकत माना जाता है.
कुल मिलाकर फिलहाल पंजाब के अमरिंदर की तरह ताक़त देकर पार्टी हिमाचल में वीरभद्र को ताक़त देने को तैयार है, लेकिन आलाकमान दबाव में झुका नहीं, इसलिए सुक्खू को हटाने का सवाल नहीं. जो भी हो, पार्टी के संगठन के भीतर के हालात भले पार्टी संभालने का दावा करे, लेकिन सफलता तो हिमाचल की जनता के जज़्बात को साथ रखने पर ही होगी.
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