भाजपा के साथ नई सरकार का गठन करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे एक्शन में नजर आ रहे हैं. गुरुवार को नीतीश ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ विभाग की समीक्षा बैठक की और कुछ कड़े फैसले लिए.
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नीतीश के द्वारा लिए गए फैसलों में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जो भी शिक्षक 50 की उम्र पार कर चुके हैं और सालों से अयोग्य और निकम्मे साबित हो रहे हैं, उनको जबरन रिटायर किया जाए. ऐसे अयोग्य शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वजह इस साल के मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा में छात्रों के खराब प्रदर्शन को माना जा रहा है. राज्य सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में काफी आक्रोश है और आने वाले दिनों में वह एक बड़ा आंदोलन भी कर सकते हैं.
अपने फैसले पर अमल करने के लिए नीतीश कुमार ने तीन सदस्यीय समिति का भी गठन कर दिया है जो सबसे पहले उन स्कूलों को चिन्हित करेगी, जहां पर मैट्रिक और इंटरमीडिएट के नतीजे सबसे खराब हुए. स्कूलों को चिन्हित करने के बाद वहां के शिक्षकों और जिले के शिक्षा पदाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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सरकार के इस निर्णय से कम-से-कम राज्य में 5000 स्थाई और कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल किए गए टीचर्स पर असर पड़ने वाला है. सरकार वैसे टीचरों की भी छुट्टी करने जा रही है, जो शिक्षक दक्षता परीक्षा में पिछले तीन बार से फेल हो रहे हैं.
मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि बिहार सरकार में प्रावधान है कि जो भी शिक्षक 50 की उम्र पार कर चुके हैं और पिछले कई सालों से अयोग्य निकम्मे साबित हो रहे हैं उन्हें जबरन रिटायर कर दिया जाए और इसी प्रावधान का उपयोग करके सरकार शिक्षकों पर कार्यवाही करने जा रही है.
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