लखनऊ – घुसपैठिये, घमंडी, शकुनि, आस्तीन के सांप ये शब्द उस सियासी परिवार के सदस्यों के हैं, जिन्हें क्षेत्रीय राजनीति की नई धारा को परवान चढ़ाने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य के रूप में पहचाना जाता है। संकेतों, प्रतीकों के सहारे इस्तेमाल इन शब्दों से साफ है कि मुलायम सिंह यादव के कुनबे के सदस्यों के बीच की दूरी इतनी अधिक हो गई है कि ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ अस्तित्व में आना लगभग तय है। यह भी पढ़े:> योगी बोले: सुधर जायें छद्म भगवा ओढ़ने वाले, पकड़े गए तो बक्शा नहीं जाएगा
यह भी पढ़े:> योगी बोले: सुधर जायें छद्म भगवा ओढ़ने वाले, पकड़े गए तो बक्शा नहीं जाएगा
14 अगस्त, 2016 वह तारीख है, जब इस परिवार में ‘सियासी जंग’ शुरू होने का एलान हुआ। इस दिन सपा संस्थापक मुलायम सिंह के भाई व उनके संघर्ष के हमसफर शिवपाल यादव ने इटावा में कहा कि-अगर भू-माफिया, शराब माफिया पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे। वह जिन पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे, उनमें से अधिकतर प्रो.राम गोपाल यादव के न सिर्फ नजदीकी रिश्तेदार थे बल्कि कथित रूप से उन्हीं के संरक्षण में फल-फूल रहे थे। यह लड़ाई इस कदर बढ़ी कि प्रो.राम गोपाल यादव ने एक जनवरी, 2017 को सपा का विशेष अधिवेशन बुलाकर संस्थापक मुलायम सिंह यादव को उनके पद से हटा दिया और अखिलेश यादव को सपा अध्यक्ष नियुक्त करा दिया।
विधानसभा चुनाव अखिलेश यादव के नेतृत्व में लड़ा गया, जिसका परिणाम पार्टी के लिए खासा निराशाजनक रहा। सपा को सिर्फ 47 सीटें ही मिल पाईं। इस हार के बाद शिवपाल यादव ने इटावा में कहा कि यह पार्टी की नहीं ‘घमंड’ की हार है। उन्होंने नाम किसी का नहीं लिया था, मगर स्पष्ट था कि हमला उस पर है, जिसके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा गया। फिर एक जनवरी को तीन माह में मुलायम को सब कुछ सौंपने का हवाला देकर अखिलेश से अध्यक्ष पद छोड़ने की मांग शुरू हुई तो रामगोपाल ने फिर मोर्चा संभालते हुए कहा कि ‘अध्यक्ष पद की मांग करने वाले सपा के सदस्य तक नहीं है। अखिलेश पद नहीं छोड़ सकते हैं।’ वह यहीं नहीं ठहरे अब शिवपाल पर साजिश करने का इल्जाम लगा दिया।
अगले ही दिन पलटवार हुआ और इशारों में शिवपाल ने प्रो. राम गोपाल यादव को ‘शकुनि’ की संज्ञा देते हुए गीता पढ़ने की सलाह दी और समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने का संकेत दिया। इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए शिवपाल यादव ने शुक्रवार को कहा कि वह सेक्युलर दलों के नेताओं, समाजवादी पार्टी में उपेक्षित, अपमानित लोगों को जोड़कर मोर्चा बनाएंगे। मुलायम सिंह उसके अध्यक्ष होंगे। उनका सम्मान बचाने के लिए यह फैसला लेना पड़ रहा है।
इधर, शुक्रवार को ही सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपेरों की समस्याओं के बहाने कहा-‘बीन से सांप निकाले जाते हैं, मगर हम राजनीतिक लोग हैं | आस्तीनों के सांपों को पहचान लेते हैं।’ इस जुमले में यूं तो किसी का नाम नहीं है मगर जिस तरह से परिवार में रार और मुलायम सिंह का रुख शिवपाल के प्रति सकारात्मक है, उससे इस जुमले के सियासी निहितार्थ स्पष्ट हैं। ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का अस्तित्व में आना लगभग तय ‘प्रतीकों के सहारे एक दूसरे पर तल्ख शब्दों के बाण चला रहे हैं सपाई, सेक्युलर दलों के नेताओं, सपा में उपेक्षित, अपमानित महसूस लोगों को साथ जोड़कर मोर्चा बनाएंगे। मुलायम सिंह यादव उसके अध्यक्ष होंगे। उनका सम्मान बचाने के लिए यह फैसला लेना पड़ रहा है।
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
		
		 
						
					 
						
					