नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आधार के साथ पैन कार्ड को लिंक कराए जाने की पहल को भले ही देश के अधिकतर नागरिकों ने सराहा है, वहीं लोगों की बड़ी संख्या इस बात को लेकर भी चिंता में है कि इस प्रक्रिया में उनकी निजि जानकारी के लीक होने की संभावना अधिक है। इस कारण डाटा के दुरूपयोग होने की बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस बात की गहराई तक जाने के लिए दो सर्वेक्षण किए गए। किए गए सर्वेक्षण में अलग-अलग बात सामने आई हैं। पहला सर्वेक्षण ऑनलाइन मंच लोकल सर्कल्स द्वारा किया गया। इसमें पाया गया कि करीब दो तिहाई लोगों को अपना आधार कार्ड बनवाने की वर्तमान प्रक्रिया के दौरान उनका डाटा लीक होने का अंदेशा है। साथ ही बैंकों एवं दूरसंचार संचालकों की आधार कार्ड तक पहुंच होने के कारण उसके ब्योरे के लीक होने की सम्भावना है। लोकल सर्किल्स के इस सर्वेक्षण में 10,729 में शामिल हुए।
दूसरे सर्वेक्षण में 70 फीसदी लोगों ने अनुपालन स्तर बढ़ाने के लिए आधार को पैन से जोड़ने के सरकार के कदम का समर्थन किया। करीब 27 फीसदी लोगों ने इसका विरोध किया जबकि तीन फीसदी ने केाई राय नहीं व्यक्त की। यह सर्वेक्षण 9,847 पर किया गया।
वित्त अधिनियम, 2017 में करदाताओं के लिए पैन को आधार से जोड़ना अनिवार्य बनाया है। सरकार ने पैन के लिए आवेदन देने के लिए आधार होना अनिवार्य बना दिया है।
बता दें केंद्र सरकार ने आधार के साथ पैन को लिंक कराए जाने का फैसला सुनाया है, जिसे एक जुलाई 2017 से लागू किया जाएगा।
सरकार का मानना है कि ऐसा करने से दी जाने वाली सब्सिडी लक्षित वर्ग तक आसानी से पहुंच सकेगी। साथ ही कालाधन रखने और कर चोरी करने वालों पर आसानी से नकेल कसी जा सकेगी।
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