सीबीआई ने पंजाब नेशनल बैंक की ब्राडी हाउस शाखा द्वारा चंद्री पेपर्स और एलायड प्रोडक्टस को नौ करोड़ रुपये का गारंटी पत्र ‘‘फर्जी’’ तरीके से जारी किये जाने के संबंध में नयी प्राथमिकी दर्ज की है. गौरतलब है कि बैंक की यह शाखा अरबपति व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की धोखाधड़ी मामले को लेकर पहले से विवादों में है.
अधिकारियों ने बताया कि पीएनबी कर्मचारी गोकुलनाथ शेट्टी और शाखा के एकल खिड़की संचालक मनोज करात को सीबीआई ने अपनी ताजा प्राथमिकी में नामजद किया है. गौरतलब है कि एजेंसी पहले से नीरव- चोकसी मामले में दोनों की जांच कर रही है.
उन्होंने बताया कि एजेंसी ने कंपनी और उसके निदेशकों को भी नामजद किया है. सूत्रों ने बताया कि नौ मार्च को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद उसने कई परिसरों की तलाशी ली है. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि31 मई, 2017 को सेवानिवृत्त होने वाले शेट्टी और करात ने कंपनी के निदेशकों आदित्य रासिवसिया और ईश्वरदास अग्रवाल के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र रचा.
उन्होंने कहा, एजेंसी का आरोप है कि सार्वजनिक बैंक को धोखा देने की साजिश के तहत उन्होंने 14 लाख अमेरिकी डॉलर की राशि के दो गारंटी पत्र जारी करवाये. (64 रुपये प्रति डॉलर के हिसाब से इसकी कीमत कुल 9.09 करोड़ रुपये होती है.) यह राशि बेल्जियम स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में देय थी. इन गारंटी पत्र के भुगतान की तिथि 20 जनवरी, 2020 थी.
रिजर्व बैंक( आरबीआई) ने पंजाब नेशनल बैंक( पीएनबी) घोटाले से सबक लेते हुए गारंटीपत्र (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) के जरिये बैंक गारंटी जारी करने की सुविधा पर रोक लगा दी.
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके चाचा मेहुल चोकसी ने आयात के लिए उपलब्ध इस सुविधा का दुरुपयोग कर देश में बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया था. इसको देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
आरबीआई ने गारंटीपत्र के साथ ही आश्वस्ति पत्र (लेटर ऑफ कम्फर्ट) जारी करने पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. आश्वस्ति पत्र भी गारंटी पत्र की तरह ही होता है. इन पत्रों का इस्तेमाल आयातकों द्वारा विदेशों में की जाने वाली खरीद के वित्तपोषण में किया जाता है.
इंपोर्ट-एक्सपोर्ट क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद देश में इंपोर्ट की लागत में लगभग आधे फीसदी की बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं. वहीं इस कदम के बाद कारोबारियों को इंपोर्ट के लिए डॉलर की व्यवस्था करने की चुनौती में भी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही विदेशी बैंकों के सामने भारतीय बैंक की साख पर भी सवाल खड़ा होगा.
वहीं बैंकिग क्षेत्र का जानकारों का दावा है कि रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद विदेशी बैंकों को भारतीय बैंक के मुकाबले इंपोर्ट फाइनेंस में बढ़त मिल जाएगी. गौरतलब है कि भारतीय बैंकों से सस्ती फाइनेंस के चलते इंपोर्ट फाइनेंसिंग विदेशी बैंकों के लिए अभीतक कड़ी चुनौती थी.