विश्व समुदाय के कई संघठनो से लगातार बाहर होने का सिलसिला जारी रखते हुए अब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से बाहर होने का फैसला भी कर लिया है. इसका एलान करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत निक्की हेली ने इजरायल के प्रति मानवाधिकार परिषद के रवैये पर कहा कि वेनेजुएला और ईरान में जब मानवाधिकार उल्लंघन हो रहा था, उस समय यह काउंसिल चुप थी. ऐसे में इसका सदस्य बने रहने का कोई मतलब नहीं है.
परिषद में सुधार को लेकर अमेरिका इससे नाराज चल रहा था. और सलाह पर अमल न किये जाने के बाद अमेरिका खुद को इससे अलग करने का एलान किया है. ट्रंप प्रशासन ने इससे पहले पेरिस जलवायु समझौते और फिर ईरान परमाणु डील से भी खुद को हाल ही में अलग कर लिया था. अब अमेरिका का UNHRC से खुद को कार्यकाल के डेढ़ साल पहले अलग कर लिया. ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के पक्ष में निक्की हेली ने कहा कि आज UNHRC अपने उद्देश्य से भटक गया है. इसकी शुरुआत एक नेक इरादे से की गई थी, लेकिन अब वे इसमें कामयाब नहीं हो रहा है. हेली ने परिषद पर राजनीतिक पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे इस फैसले का ये मतलब नहीं है कि हम मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति लापरवाह हैं, हम परिषद से बाहर रहते हुए भी मानवाधिकार मूल्यों की रक्षा करते रहेंगे.
हेली ने परिषद पर आरोप लगाया कि UNHRC का इजरायल के प्रति भेदभाव वाला रवैया रहा है. माइक पोम्पियो ने आरोप लगाया कि आज UNHRC दुनिया के तमाम देशों में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की अनदेखी कर रहा है.वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष जेद बिन राद अल हुसैन ने अमेरिका के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि उन्हें मानवाधिकार की रक्षा करनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की स्थापना 2006 में हुई थी.47 देश इसके सदस्य है.
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