मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के बहुप्रतीक्षित मंदिर का जब पांच अगस्त को शिलान्यास होगा, तब उसकी नींव का आधार ज्ञान, योग, त्याग और तपस्या से रची-बसी मिïट्टी होगी। विहिप की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में भगवान बुद्ध के ननिहाल कपिलवस्तु, योग साधना की गोरक्षपीठ गोरखपुर, भरत के त्याग की भूमि भारतभारी, देवरहा बाबा की तपोभूमि मइल और बुद्ध और महावीर की निर्वाण स्थली समेत पूर्वांचल के दो दर्जन से अधिक स्थानों की मिट्टी अयोध्या के लिए जा रही है। गोरखनाथ मंदिर से मिट्टी और अखंड धूनी की राख अयोध्या भेजी गई। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता रामलला की झांकी के साथ गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और सचिव द्वारिका तिवारी ने विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राख और मिट्टी भरा ताम्र कलश उन्हें सौंपा।
यहां भी भी रवाना हुई मिट्टी
इसके अलावा देवरिया के देवरहा बाबा आश्रम मईल, दुग्धेश्वर नाथ मंदिर रुद्रपुर, देवरही मंदिर देवरिया की मिट्टी भी अयोध्या के लिए रवाना हुई। भगवान बुद्ध की क्रीड़ास्थली सिद्धार्थनगर के कपिलवस्तु से भी मिट्टी जा रही है। यहीं से सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में निकले थे और ज्ञान प्राप्ति पर बुद्ध कहलाए। वहीं, श्रीराम से वन में मिलकर लौटने के बाद भरत ने तपस्वी के रूप में जहां से राजकाज चलाया, उस त्यागभूमि भारतभारी की मिïट्टी भी अयोध्या जाएगी। मान्यता है कि यहां पर भरत ने पवित्र सरोवर व शिवमंदिर का निर्माण कराया था।
इसके अलावा कुशीनगर के नौ स्थानों की मिट्टी को पूजन के बीच अयोध्या रवाना की गई। इसमें तीर्थकर महावीर जैन की निर्वाण स्थली पावानगर, मां कामाख्या पीठ असम की प्रतिनिधि पीठ मैनपुर कोट देवी स्थान, कुबेर प्रतिष्ठित शिव मंदिर कुबेर स्थान, सूर्य मंदिर तुर्कपट्टी, देवी पीठ खन्हवार स्थान पिपरा, विश्व कल्याण मंदिर रामकोला, सिधुआं स्थान पडरौना व प्राचीन रामजानकी मठ कसया की पवित्र मिट्टी शामिल है।
गांव-गांव, घर-घर में चल रही राममंदिर उत्सव की तैयारी
पांच अगस्त को श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में शिलान्यास की तैयारी जितने जोर-शोर से जारी है, बस्ती के मखौड़ा धाम क्षेत्र के निवासियों के हृदय में उल्लास की उतनी ही तीव्र हिलोर उठ रही है। हो भी क्यों न, मखौड़ाधाम वही पुण्य मख स्थान है, जिसके कारण श्रीराम हैं, वह अयोध्या है, जहां बनने वाले मंदिर से पूरे विश्व में उल्लास है। त्रेतायुग में मखौड़ा धाम में ही राजा दशरथ ने अपनी रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा के साथ यहां पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। पुत्र की चाह में सभी नंगे पांव आए थे और यज्ञ कर श्रीराम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न को जन्म देने का सौभाग्य पाया था। इसीलिए कहा भी जाता है, मखस्थानं महत् पुण्यम् यत्र पुण्या मनोरमा। मनोरमा तट का यह मखौड़ा धाम श्रीराम मंदिर के शिलान्यास से रोमांचित, उल्लासित और गर्वित है। यह स्थान अयोध्या से 20 किमी दूर बस्ती जिले में है। शिलान्यास की तिथि घोषित होने के बाद से ही यहां आने वाले श्रद्धालु व साधु-संत हर्षित हैं। हर कोई पांच अगस्त के ऐतिहासिक एवं धार्मिक मुहूर्त का साक्षी बनना चाहता है। गांव के हर घर में रोज राम नाम कीर्तन हो रहा है। यज्ञ और दीपोत्सव की तैयारी चल रही है। मखौड़ा धाम स्थित रामजानकी मंदिर से जुड़े राम नरायन दास, राम कृष्णदास, छोटूदास, ननकदास, अभिजीत दास, परशुराम पांडेय का कहना है कि संत समाज के लिए इससे बड़ा दिन क्या होगा, जब श्रीराम मंदिर का शिलान्यास होगा। यह पांच सौ वर्ष लंबे संघर्ष की सुखद जीत है।
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