आज हम भारत की आजादी का जश्न शान से मनाते है। हालांकि ये आजादी इतनी आसान नही थी। इस आजादी के लिए भारतीयों ने खून पसीना एक किया है। देश पर कई सपूतों ने जान न्योछावर की है। तब जाकर भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ।
इस आजादी में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का खून मिला हुआ है, जिसका हर एक कतरा कहता था कि हम अंग्रेजों को भारत से खदेड़ देंगे और उन्होंने ऐसा किया जिसकी बदौलत आज हम आजादी का जश्न मना रहे हैं। हम गर्व से अपना सीना चौड़ा कर भारत मां की जय बोलते हैं क्योंकि 15 अगस्त 1947 का यह वह दिन है जब हमें अंग्रेजों से पूर्ण रूप से आजादी मिली थी। इसी दिन को ज्योतिष में स्वतंत्र भारत का जन्म दिवस माना जाता है। स्वतंत्रता दिवस ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा बात रही हैं कि स्वतंत्र भारत देश की कुंडली कैसी है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्री 00:00 बजे स्थान दिल्ली को भारत की कुंडली का आधार मान कर विश्लेषण करते हैं। ग्रह गोचर को देखे तो स्वतंत्र भारत की कुंडली नंबर 2 राशि वृष लग्न और कर्क राशि की है। लग्न और लग्नेश की चर्चा करे तो वृष लग्न मे राहू विराजमान है लग्नेश का स्वामी शुक्र है। शुक्र गृह को कला, सौन्दर्य, रचना, संगीत का कारक माना जाता है यही कारण है भारत का सिनेमा विश्व प्रसिद्ध है व यहा की कला की विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान है । परंतु लग्न का राहू देश की राजनीति में उठापटक करता है साथ ही ये भारत के राजा अथवा प्रधानमंत्री को अति महत्वकांशी भी बनाता है। कुंडली के दूसरे भाव की बात करें तो नंबर 3 राशि मिथुन पड़ती है। यहां मंगल स्थित है, कुंडली का यह दूसरा भाव दिशाओं से भारत की नार्थ वेस्ट को दर्शाता है। जहां भारत का कश्मीर भाग आता है वहां बार-बार समस्याएं पैदा होती रहती हैं व समय-समय पर यह युद्ध की स्थितियां बनाती है और अस्थिरता होती है परंतु स्थिर लग्न होने के कारण भारत उन पर बखूबी काबू पा सकता है।
कुंडली मे जिस स्थान विशेष पर एक से अधिक ग्रहों की स्थिति हो वह भाव विशेष हो जाता है। भारत की कुंडली मे वह भाव है कुंडली का तृतीय भाव जहा कर्क राशि में सूर्य, चंद्र, शनि, बुध, शुक्र ये पांच ग्रह बैठकर पंचग्रही योग बना रहे हैं। कुंडली में पराक्रम, बल और शक्ति का भाव यहीं होता है। यहाँ ग्रहों की स्थिति भारत को विश्व में पराक्रमी बनाती है। तृतीय भाव स्थित शनि की बात करे तो भारत को आजादी शनि की महादशा में प्राप्त हुई थी। सूर्यपुत्र शनि की महादशा में 1947 से 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धों में भारत को सफलता प्राप्त हुई।
चौथे भाव मे कोई ग्रह स्थित नही है। परंतु यदि यहाँ पर हम राशि का विचार करें तो सिंह राशि आती है। सिंह राशि पराक्रम और शौर्य के देवता सूर्य देव की राशि है। अतएव भारत की मातृभूमि विश्व मे शौर्य भूमि के नाम से विख्यात हुई। पांचवे भाव की बात करें तो यहाँ भी कोई ग्रह उपस्थित नहीं है। राशि आती है कन्या जो कि भारत को औषधियों का ज्ञाता बनाती है। आयुर्वेद और जड़ी बूटियों का इतिहास भारत को विश्व में सबसे अलग बनाता है। किसी भी कुंडली का छठा भाव रोग, शत्रु और कर्ज का होता है। यहां गुरु की स्थिति बताती है कि भारत में धर्म को लेकर हमेशा ही कुछ न कुछ विवाद बना रहेगा साथ ही यह कर्ज का भी भाव है इसी कारण देश मे किसी न किसी रूप मे कर्ज सदैव बना रहेगा।
सप्तम भाव मे वृश्चिक राशि में केतू स्थित है कुंडली का यह भाव संकेत करता है कि स्त्रियों से संबन्धित अंदोलन व कानूनों मे समय समय पर बदलाव आएगा व समय के साथ देश में महिलाओं का वर्चस्व बढ़ेगा। वर्तमान मे भारत पर चंद्रमा की महादशा चल रही है स्वतंत्र भारत की कुंडली में चंद्रमा अनुकुल है।
डिस्क्लेमर-
”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ”
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