इस दरबार साहिब की स्थापना श्री गुरु राम राय जी ने की थी। औरंगजेब गुरु राम राय के काफी करीबी माने जाते थे। औरंगजेब ने ही महाराज को हिंदू पीर की उपाधि दी थी।
गुरू राम राय जी ने देहरादून में आकर डेरा डाला था। तब इसे डेरा दून कहा जाता था। लेकिन बाद मे अब यह देहरादून के नाम से विश्व विख्यात हुआ। इसी जगह पर यहां दरबार साहिब बनाया गया और यहां झंडे की स्थापना की की गई।
तब से आज तक यहां फाल्गुन मास की पंचमी तिथि तिथि को झंडे मेले का आयोजन होता है। साथ ही झंडे जी का आरोहण किया जाता है। इस मेले में भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर आते हैं। इस बार दून के प्रसिद्ध झंडा मेला का आगाज छह मार्च को होगा।
इसमें सबसे अधिक महत्व दर्शनी गिलाफ का होता है। मान्यता है कि, यहां मांगी मुराद झंडे जी पूरी करते हैं। इसका ही असर है कि, कैलाश चंद्र जुयाल के अनुसार वर्ष 2116 तक के लिए दर्शनी गिलाफ की बुकिंग हो चुकी है। इसके अलावा शनील गिलाफ चढ़ाने की बुकिंग वर्ष 2041 के बाद के लिए शुरू हो गई है।
इस बार लुधियाना के अर्जुन सिंह दर्शनी गिलाफ चढ़ाएंगे। गिलाफ चढ़ाने की बुकिंग 30 साल पहले अर्जुन सिंह के पिता ने कराई थी। सबसे पहले झंडे जी का दूध, दही, शहद आदि से विशेष अभिषेक किया गया। पुराने गिलाफ उतारे गए। इसके पश्चात सबसे पहले सूती फिर शनील और अंत में दर्शनी गिलाफ चढ़ाए जाते हैं। जिसे देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है।