गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घर में बप्पा जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार, डेढ़ दिन, तीसरे, सातवें या फिर 10वें दिन गणेश विसर्जन करते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं गणेश जी की स्थापना का मुहूर्त और पूजा विधि।
गणेश जी की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर गणेश जी का ध्यान करें। स्नान आदि से निवृत होने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। घर और मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद शुभ मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना करें।
पूजा में गणेश जी को पंचामृत, जनेऊ, हल्दी, चंदन, कुमकुम, अक्षत, पीले फूल, फल, धूप, दीप, वस्त्र, दूर्वा और शमी के पत्ते आदि अर्पित करें। बप्पा को मोदक और लड्डुओं आदि का भोग लगाएं। अंत में परिवार सहित गणेश जी के मंत्रों व आरती का पाठ करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
गणेश स्थापना शुभ मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक
गणेश जी के मंत्र
- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥ - एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥ - ॐ ग्लौम गौरी पुत्र,वक्रतुंड,गणपति गुरु गणेश
ग्लौम गणपति,ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।। - एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥