शिव-पार्वती की विवाह स्थली त्रियुगीनारायण को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप विकसित किया जाएगा। यहां विवाह आयोजन के लिए अब बीकेटीसी की अनुमति जरूरी होगी। अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी।
इसके लिए श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति नियमावली तैयार करने में जुट गई है। रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से 13 किमी की दूरी पर स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर भगवान शिव-पार्वती की विवाह स्थली है। देव विवाह के साक्षात प्रमाण यहां मौजूद हैं, जिसमें तीन युगों से अनवरत जल रही अखंड ज्योति और वह पत्थर हैं, जिसमें पर्वतराज हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का कन्यादान किया था।
साथ ही अन्य कई प्रमाण भी हैं। इस विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी। त्रियुगीनारायण मंदिर, श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन है। अब बीकेटीसी इस देव विवाह स्थली को शांतिकुंज हरिद्वार की तरह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने जा रही है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features