बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनों पर विश्वास जताया है। पार्टी ने दोनों सीटों पर उन चेहरों को मैदान में उतारा है, जो कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने जिन चेहरों पर दांव लगाया है, वो दोनों ही उसकी सांगठनिक नर्सरी से नहीं निकले हैं।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपने दलों को छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले चेहरों को पार्टी ने टिकट दिया है। यही कारण है कि कांग्रेस उन्हें आयतित प्रत्याशी बता भाजपा पर तंज कस रही है।मंगलौर विस सीट बसपा का गढ़ रही है। राज्य गठन के बाद हुए पांच विधानसभा चुनाव में इस सीट पर चार बार बसपा ने जीत हासिल की, जबकि एक बार कांग्रेस को जीत मिली।
2017 के चुनाव में काजी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि 2022 के चुनाव में काजी बसपा प्रत्याशी सरवत करीम अंसारी से 598 मतों के करीबी अंतर हार गए। मंगलौर से तीन बार के विधायक रहे काजी अल्पसंख्यक वोटों के साथ ही बसपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाते रहे हैं। उपचुनाव में भी उनके सामने बसपा के वोट को खींचने की चुनौती होगी।बदरीनाथ विधानसभा भी कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। यहां से कांग्रेस ने नए चेहरे लखपत बुटोला पर दांव लगाया है। 2022 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर राजेंद्र भंडारी ने जीत हासिल की थी। बुटोला पोखरी ब्लॉक के चौंडी गांव के रहने वाले हैं। जहां से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भंडारी भी हैं। लखपत 1997 से पार्टी से जुड़े हैं और क्षेत्र में खासे सक्रिय हैं। 2014 में पोखरी ब्लॉक से जिला पंचायत सदस्य रहे। वर्तमान में उनके पास पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी है। क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं में उनकी पकड़ और सक्रियता को देखते हुए पार्टी उन्हें मजबूत प्रत्याशी मान रही है।
काजी 19 जून और बुटोला 21 जून को करेंगे नामाकंन
मंगलौर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन 19 जून और बदरीनाथ सीट से प्रत्याशी लखपत बुटोला 21 जून को नामांकन करेंगे। पार्टी ने दोनों प्रत्याशियों के नामांकन रैली की तैयारियां शुरू कर कर दी है।
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